इलाहाबाद HC ने अस्थायी कर्मचारी की बर्खास्तगी रद की​, 

कहा- सुनवाई के बिना सेवा समाप्ति प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अस्थायी कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच के लिए कोई नियम नहीं हैं। फिर भी बिना सुनवाई का मौका दिए एफआईआर के आधार पर सेवा समाप्ति अवैध है। कोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश को रद कर दिया और विभाग को कानूनी आदेश पारित करने की अनुमति दी। यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश कुमार सिंह चौहान की एकलपीठ ने दिया।


एफआइआर दर्ज होने पर अस्थाई कर्मचारी की बर्खास्तगी का आदेश रद


 इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि अस्थाई कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय जांच की कोई नियमावली नहीं है। ऐसे में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के तहत बिना सुनवाई का मौका दिए एफआइआर दर्ज होने के आधार पर की गई सेवा समाप्ति अवैध व मनमानापूर्ण है।


कोर्ट ने याची की बर्खास्तगी आदेश 14 फरवरी 2025 को रद करके विभाग को विधि सम्मत आदेश पारित करने की छूट दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश कुमार सिंह चौहान की एकलपीठ ने जयंत कुमार सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।


कोर्ट ने की ये टिप्पणी

याची का कहना था कि कर्मचारी को बिना सुनवाई का मौका दिए बर्खास्त नहीं किया जा सकता। सरकार की ओर से कहा गया कि याची अप्रशिक्षित अस्थाई कर्मचारी था। नियुक्ति पत्र में ही लिखा है कि अनियमितता पर सेवा से हटा दिया जाएगा। याची की नियुक्ति 11 फरवरी 2020 को की गई थी।


हालांकि अस्थाई कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच की कोई नियमावली नहीं है। कोर्ट ने तमाम फैसलों पर विचार करते हुए कहा कि भले ही विभागीय जांच के नियम न हो फिर भी किसी कर्मचारी को नैसर्गिक न्याय का पालन किए बगैर बर्खास्त नहीं किया जा सकता। उसे सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए।

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