प्रबंधतंत्र की हठधर्मिता, निरंकुश्ता, स्वेच्छाचारिता, असहयोगात्मक रवैया तथा कॉलेज में शैक्षणिक, प्रशासनिक एवं वित्तीय अनुशासन बनाए रखने को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा महाविद्यालय में प्राधिकृत नियंत्रक नियुक्त करने की संस्तुति
एस. एम. कॉलेज, चंदौसी, जनपद-संभल में आयोग चयनित नियमित प्राचार्य एवं प्रबंधतंत्र के बीच विवाद प्रकरण
प्रबंधतंत्र की हठधर्मिता, निरंकुश्ता, स्वेच्छाचारिता, असहयोगात्मक रवैया तथा कॉलेज में शैक्षणिक, प्रशासनिक एवं वित्तीय अनुशासन बनाए रखने को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा महाविद्यालय में प्राधिकृत नियंत्रक नियुक्त करने की संस्तुति
-प्रोफेसर डॉ. प्रवीण कुमार की शिकायत पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में हुई सुनवाई में लिया गया निर्णय
-उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष माननीय सूर्य प्रकाश पाल की न्यायपीठ में हुई थी सुनवाई
- न्यायपीठ ने 25 अगस्त, 2025 को लिया था निर्णय, जो 4 दिसम्बर, 2025 को जारी किया गया
-प्रकरण में विधिक कार्यवाही करने तथा डॉ. प्रवीण कुमार को नियमानुसार देय वेतन धनराशि का तत्काल प्रभाव से एवं नियमित रूप से भुगतान करने के आदेश
एस. एम. कॉलेज, चंदौसी, जनपद-संभल के प्रबंधतंत्र, प्राचार्य, सचिव की शैक्षणिक, प्रशासनिक, वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतों के संदर्भ में विश्वविद्यालय में की जा रही सुनवाई में प्रबंध समिति के असहयोगात्मक स्वेच्छाचारिता, मनमाना रवैया आदि के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 58 के अंतर्गत महाविद्यालय के शैक्षणिक, प्रशासनिक एवं वित्तीय अनुशासन को बनाए रखने हेतु प्राधिकृत नियंत्रक नियुक्त करने व विधिक कार्रवाई करने तथा शिकायतकर्ता डॉ. प्रवीण कुमार, प्रोफेसर-वाणिज्य एस. एम. कॉलेज, चंदौसी, जिला-संभल की अनियमित रूप से की गई बर्खास्तगी व निलंबन को विश्वविद्यालय द्वारा निरस्त कर बहाल किये जाने के उपरान्त निलंबन की तिथि से नियमानुसार देय वेतन धनराशि का तत्काल प्रभाव से एवं नियमित रूप से भुगतान करने के आदेश उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, लखनऊ द्वारा दिए गए हैं। आयोग द्वारा सम्यक विचारोपरांत प्रमुख सचिव-उच्च शिक्षा, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ; शिक्षा निदेशक, उच्च शिक्षा, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज; कुलपति-गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद; क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, बरेली-मुरादाबाद परिक्षेत्र, बरेली; जिला अधिकारी-जिला संभल व पुलिस अधीक्षक-जिला संभल को आवश्यक कार्यवाही करने हेतु संस्तुति की गई है। आयोग ने उक्त सभी को यह भी आदेशित किया गया है कि 15 दिन के अंदर आयोग को संदर्भित प्रकरण में कृत कार्रवाई से अवगत कराया जाए।
यह निर्णय प्रोफेसर डॉ. प्रवीण कुमार की शिकायत पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में हुई सुनवाई में लिया गया। यह सुनवाई उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष माननीय सूर्य प्रकाश पाल की न्यायपीठ में हुई थी। न्यायपीठ द्वारा व्यापक सुनवाई एवं गहन जांच के उपरांत 25 अगस्त, 2025 को यह निर्णय लिया था। जो 4 दिसम्बर, 2025 को जारी किया गया और निर्णय सम्बन्धी संस्तुति की प्रतिलिपि पीड़ित प्राध्यापक को भी प्रेषित कर जानकारी दी है।
स्मरण रहे कि महाविद्यालय प्रबंधतंत्र एवं कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. हेमंत कुमार आदि द्वारा डॉ. प्रवीण कुमार के महाविद्यालय में प्रवेश पर गैर-कानूनी एवं अवैधानिक रूप से प्रवेश को प्रतिबंधित किया हुआ है। प्रबंधतंत्र/प्राचार्य/सचिव द्वारा विश्वविद्यालय के कार्यालय आदेश का न तो खुद अनुपालन किया जा रहा है और न ही प्रार्थी को प्रबंधतंत्र द्वारा इस आदेश के अनुपालन हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन ही करने दिया जा रहा है। बल्कि शिकायतकर्ता/पीड़ित (डॉ. प्रवीण कुमार) अपने कर्तव्य का अनुपालन करने हेतु महाविद्यालय जाता है, तो अनुसूचित जाति की महिलाओं व अन्य स्टाफ से मारपीट गाली-गलौच आदि जैसे गैर कानूनी कृत्य आदि कराकर उल्टे शिकायतकर्ता/डॉ. प्रवीण कुमार के खिलाफ ही पुलिस में मुकदमा दर्ज करने, महिला आयोग, अनुसूचित जाति जनजाति आयोग आदि जगहों पर झूठी शिकायत भेज कर जेल भिजवाने हेतु कार्रवाई की जाती है। महाविद्यालय प्रबंधतंत्र एवं कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. हेमंत कुमार आदि द्वारा हमसाज होकर प्रार्थी के महाविद्यालय में प्रवेश पर गैर-कानूनी एवं अवैधानिक रूप से प्रवेश को प्रतिबंधित किया हुआ है। महाविद्यालय के प्रबंधतंत्र द्वारा जानबूझकर शिकायतकर्ता को नियमानुसार देय वेतन/जीवन निर्वाह भत्ते का भी भुगतान नहीं किया जा रहा है। आयोग ने माना है कि इससे प्रबंधतंत्र/प्रबंधक/सचिव तथा प्राचार्य एस. एम. कॉलेज, चंदौसी, जिला-संभल की मनमानी व स्वेच्छाचारिता प्रदर्शित होती है। पुलिस विभाग की जांच से भी डॉ. प्रवीण कुमार के आरोपों की पुष्टि होती है।
एस. एम. कॉलेज, चंदौसी के प्रकरण में पुलिस विभाग द्वारा की गई जांच में दिनांक 9 मार्च, 2025 को अंतिम रिपोर्ट संख्या-42/25 में जुर्म खारिजा रिपोर्ट प्रेषित कर विवेचना समाप्त कर दी गई थी । जिस पर पर्यवेक्षक अधिकारी द्वारा तत्कालीन विवेचक को उक्त मुकदमे में कतिपय बिंदुओं पर पुनः विवेचना करते हुए निर्देशित किया गया था। जिसके क्रम में विवेचक द्वारा दिनांक 28 अप्रैल, 2025 को कतिपय बिंदुओं की पूर्ति करते हुए पूर्व किता अंतिम रिपोर्ट मय जुर्म खारिजा का समर्थन करते हुए विवेचना समाप्त की गई। आयोग ने माना है कि इससे स्वत: स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता डॉ. प्रवीण कुमार के खिलाफ साजिशन यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था और लगाए गए आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं।
आयोग द्वारा पत्रावली में दाखिल पत्र/प्रतियों/पत्रजातों का आयोग द्वारा परीशीलन किया गया। प्रबंधतंत्र/प्राचार्य/सचिव एस. एम. कॉलेज, चंदौसी, जनपद-संभल के द्वारा प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ; शिक्षा निदेशक, उच्च शिक्षा निदेशालय, प्रयागराज; कुलपति- गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद तथा क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, बरेली के स्पष्ट आदेशों का न तो अनुपालन किया जा रहा है और न ही पीड़ित को आदेशों के अनुपालन हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने दिया जा रहा है।
प्रोफेसर डॉ. प्रवीण कुमार की शिकायत पर उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा पिछड़े वर्गों के लिए राज्य आयोग, राष्ट्रपति अधिनियम संख्या-1, 1996 की धारा-10 में प्रदत शक्तियों के अंतर्गत प्रकरण में सुनवाई की गई। आयोग द्वारा यह सुनवाई लखनऊ स्थित राज्य मुख्यालय में दिनांक 26.05.2025, 23.06.2025, 28.07.2025 एवं 25.08.2025 की तिथियों में की गई। जिसमें महाविद्यालय के प्राचार्य एवं सचिव आयोग द्वारा की गई सुनवाई में कभी भी उपस्थित नहीं हुए।
आयोग मुख्यालय में हुई सुनवाई के दौरान संदर्भित प्रकरण में पीड़ित द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के आधार पर महाविद्यालय प्रबंधतंत्र द्वारा डॉ. प्रवीण कुमार के घोर मानसिक, शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक उत्पीड़न की पुष्टि को माना है। सुनवाई के दौरान श्री शांतनु कुमार एवं डॉ. हेमंत कुमार द्वारा प्रकरण की आयोग में प्रचलित सुनवाई के दौरान उपस्थित न होने, अपेक्षित सहयोग प्रदान न करने तथा नियमानुसार पीड़ित को देय वेतन का भुगतान न करने विधि विरुद्ध महाविद्यालय में प्रवेश प्रतिबंधित करने, उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर न करने देने, शिक्षा निदेशक-उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश प्रयागराज द्वारा निर्गत शासनादेश का निरादर करने, उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम- 1973 के सुसंगत प्रावधानों का उल्लंघन करने, पुलिस एवं प्रशासन, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जांच के उपरांत दी गई दोष मुक्त रिपोर्ट के उपरांत भी शिकायतकर्ता को नियमानुसार कोई भी राहत न देने एवं आदि तथ्य विचारणीय माने गए हैं।
यह भी बताते चलें कि महाविद्यालय पर प्रशासनिक क्षेत्राधिकार रखने वाले कुलपति-गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद के कुलपति द्वारा भी उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम-1973 एवं सुसंगत शासनादेशों के अधीन अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए की गई जांच सुनवाई के अंतर्गत दिनांक 30 अप्रैल, 2025 को निर्गत कार्यालय आदेश के माध्यम से कॉलेज सचिव के द्वारा किए गए निलंबन/बर्खास्तगी आदेश को शून्य/निष्प्रभावी घोषित कर स्थगित कर दिया है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा शिकायतकर्ता डॉ. प्रवीण कुमार को महाविद्यालय में अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए आदेश/निर्देश दिया गया था। इन सभी आदेशों का प्रबंधतंत्र/प्राचार्य/सचिव द्वारा ने तो खुद पालन किया जा रहा है और न ही प्रोफेसर डॉ. प्रवीण कुमार को पालन करने दिया जा रहा है।
महाविद्यालय प्रबंधतंत्र की हठधर्मिता, निरंकुश्ता, स्वेच्छाचारिता, असहयोगात्मक रवैया तथा महाविद्यालय में शैक्षणिक, प्रशासनिक एवं वित्तीय अनुशासन को बनाए रखने आदि को दृष्टि में रखते हुए विश्वविद्यालय, उच्च शिक्षा निदेशक, तथा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा महाविद्यालय के प्रबंधतंत्र के खिलाफ धारा 58 की कार्रवाई करते हुए भंग कर प्राधिकृत नियंत्रक नियुक्त करने की संस्तुति की जा चुकी है। अब देखना यह है कि पीड़ितों को न्याय कब मिल पाता है। कहीं ऐसा न हो कि लाल फीताशाही के चलते इस आदेश को भी सक्षम अधिकारी रद्दी की टोकरी में फेंक दें और पीड़ितों के दमन, अमानवीय अत्याचारों का सिलसिला तथा कुचक्र और तेज गति पकड़ लें।
दिनांक:- 08.12.2025
डॉ. प्रवीण कुमार
पता:-म.नं.-1/203, सेक्टर-1, आवास विकास कॉलोनी, गौशाला रोड, चंदौसी, जनपद-संभल, उ.प्र.-244412
मोबाइल-9760480884, ईमेल-pksanghwal@gmail.com









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