सफल और आदर्श विद्यार्थी कैसे बने?

 



सफल और आदर्श विद्यार्थी कैसे बने?

 


 अच्छे विद्यार्थी के गुण

हमारे देश का कल का भविष्य आज के युवा पीढ़ी पर आधार है । आज का विद्यार्थी ही कल का युवा बनेगा, जो देश को ऊंचाई तक पहुंच गया । विद्यार्थी जीवन सबका अलग अलग होता है । कई प्रकार के विद्यार्थी होते हैं जो भविष्य में आगे बढ़ने के लिए पढ़ाई करते हैं, माता-पिता का नाम रोशन करने के लिए और उनके सपने पूरे करने के लिए मेहनत करते हैं और साथ ही साथ कुछ इस प्रकार के विद्यार्थी भी होता है जो केवल स्कूल में मौज़ मस्ती करने के लिए और दोस्तों के साथ खेलने के लिए जाते हैं । केवल अच्छे गुण या क्लास में पहला नंबर आने से वह विद्यार्थी आदर्श नहीं हो जाता बल्कि जो विद्यार्थी केवल पास होता है वह भी आदर्श हो सकता है । आओ खोजते हैं आदर्श विद्यार्थी के गुण, अच्छे विद्यार्थी के गुण I




अच्छे विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए 

अच्छे विद्यार्थी में जिज्ञासा और श्रद्धा-आवश्यक गुण

अच्छे विद्यार्थी के अंदर सहायता का गुण होना चाहिए

अच्छे विद्यार्थी के जीवन में समय बहुत ही मूल्यवान है 

अच्छे विद्यार्थी के जीवन में खेल कूद का महत्व

अच्छे विद्यार्थी अपने जीवन में एक ही मूल मंत्र का पालन करते हैं जो है: संघर्ष का नाम ही जीवन

अच्छे विद्यार्थी जिंदगी को जिंदादिली के साथ जीते हैं

अच्छे विद्यार्थी के जीवन में संयम ही सदाचार है

अच्छे विद्यार्थी का परम गुण आत्मनिर्भरता है

अच्छे विद्यार्थी “काल्ह करै सो आज कर” की नीति पर विश्वास करते हैं।




अच्छे विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए 

अनुशासन


अच्छे विद्यार्थी को हमेशा माता पिता , शिक्षकों , बड़ों की आज्ञाओं को हमेशा पालन करना चाहिए। जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या और अनुशासन दोनों आवश्यक हैं। विद्या का अंतिम लक्ष्य है-इस जीवन को मधुर तथा सुविधापूर्ण बनाना। अनुशासन का भी यही लक्ष्य है। अनुशासन भी एक प्रकार की विद्या अपनी दिनचर्या, भजन चाल, रहन-सहन, सोच-विचार और अपने समस्त व्यवहार को व्यवस्थित करना ही अनुशासन है। विद्यार्थी के लिए अनुशासित होना परम आवश्यक है।अनुशासन का गुण बचपन में ही ग्रहण किया जाना चाहिए।विद्यालय की सारी व्यवस्था में अनुशासन और नियमों को लागू करने के पीछे यही बात है। यही कारण है कि अच्छे अनुशासित विद्यालयों के छात्र जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त करते हैं। अतः अनुशासन जीवन के लिए परमावश्यक है तथा उसकी प्रथम पाठशाला है।


अच्छे विद्यार्थी में जिज्ञासा और श्रद्धा-आवश्यक गुण


विद्यार्थी का अर्थ है-विद्या पाने वाला। अच्छा विद्यार्थी वही है जो सीखने की इच्छा से ओतप्रोत हो, जिसमें ज्ञान पाने की गहरी ललक हो। विद्यार्थी का सबसे पहला गुण है-जिज्ञासा। वह नए-नए विषयों के बारे में जानने का इच्छुक होता है। वह केवल पुस्तकों और अध्यापकों के भरोसे ही नहीं रहता, अपितु स्वयं मेहनत करके ज्ञान प्राप्त करता है। सच्चा छात्र श्रद्धावान होता है। सच्चा छात्र कठोर जीवन जीकर तपस्या का आनंद प्राप्त करता है। अच्छा छात्र अपनी निश्चित दिनचर्या बनाता है और उसका कठोरता से पालन करता है। वह अपनी पढ़ाई, खेल-कूद, व्यायाम, मनोरंजन तथा अन्य गतिविधियों में तालमेल बैठाता है। अच्छा छात्र फैशन और ग्लैमर की दुनिया से दूर रहता है। वह सादा जीवन जीता है और उच्च विचार मन में धारण करता है। वह केवल पाठ्यक्रम तक ही सीमित नहीं रहता । वह विद्यालय में होने वाली अन्य गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है। गाना, अभिनय, एन.सी.सी., स्काउट, खेलकूद, भाषण आदि में से किसी-न-किसी में वह अवश्य भाग लेता है।


अच्छे विद्यार्थी के अंदर सहायता का गुण होना चाहिए


हर एक विद्यार्थी के अंदर सहायता का गुण होना आवश्यक है। उसके लिए उन्हें कोई मौका या जगह का होना जरूरी नहीं है, वह कई प्रकार से मदद कर सकते हैं । अच्छे विद्यार्थी में स्वार्थ का गुण नहीं होना चाहिए उसे खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए। एक अच्छा विद्यार्थी हमेशा सकारात्मक सोच के साथ जीता है। अच्छे विद्यार्थी का कर्तव्य है कि  निस्वार्थ भाव से सभी की सहायता करना चाहे वह कक्षा का सहपाठी ही क्यों ना हो। जैसे कि रास्ता क्रॉस करने के समय किसी बूढ़े व्यक्ति की मदद करना, अपनी पुरानी किताबों को गरीब बच्चों को देना, आदि ।


अच्छे विद्यार्थी के जीवन में समय बहुत ही मूल्यवान है 


इसका भी ध्यान आदर्श विद्यार्थी को रखना चाहिए । समय समय पर अपना काम खुद ही करना चाहिए जैसे कि समय पर विद्यालय जाना, अपनी पढ़ाई खुद ही करना, खेलने के समय खेलना  और मनोरंजन के समय मनोरंजन करना । हमेशा मन में कुछ ना कुछ नहीं चीजों को सीखने की जिज्ञासा होनी चाहिए। अनुशासन से समय और धन की बचत होती है। जिस छात्र ने अपनी दिनचर्या निश्चित कर ली है, उसका समय व्यर्थ नहीं जाता। वह समय पर मनोरंजन भी कर लेता है तथा अध्ययन भी पूरा कर पाता है। इसके विपरीत अनुशासनहीन छात्र आज का काम कल पर और कल का काम परसों पर टालकर अपने लिए मुसीबत इकट्ठी कर लेता है। इसलिए इसका संबंध छात्र से है। 


अच्छे विद्यार्थी के जीवन में खेल कूद का महत्व


स्वामी विवेकानंद ने अपने देश के नवयुवकों को कहा था-“मेरे नवयुवक मित्रो! बलवान बनो। तुमको मेरी यह सलाह है।” गीता के अभ्यास की अपेक्षा फुटबाल खेलने के द्वारा तुम स्वर्ग के अधिक निकट पहुँच जाओगे।” इस कथन से स्पष्ट है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास संभव है और शरीर को स्वस्थ तथा मजबूत बनाने के लिए खेल अनिवार्य हैं। मनोवैज्ञानिकों का मत है कि अच्छे विद्यार्थी की खेलों में रुचि स्वाभाविक है। इसी कारण अच्छे विद्यार्थी खेलों में अधिक रुचि लेते हैं।पी. साइरन ने कहा है-‘अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं।’ इन दोनों की प्राप्ति के लिए जीवन में खिलाड़ी की भावना से खेल खेलना आवश्यक है। एक अच्छे विद्यार्थी को हमेशा यह याद रहता है कि खेल खेलने से शरीर को बल, माँस-पेशियों को उभार, भूख को तीव्रता,आलस्यहीनता तथा मलादि को शुद्धता प्राप्त होती है। खेल खेलने से मनुष्य को संघर्ष करने की आदत लगती है। एक अच्छे विद्यार्थी में जीवन की जय-पराजय को आनंदपूर्ण ढंग से लेने की महत्त्वपूर्ण आदत खेल खेलने से ही आती है। खेल अच्छे विद्यार्थी का भरपूर मनोरंजन करते है। खिलाड़ी हो अथवा खेल-प्रेमी, दोनों को खेल के मैदान में एक अपूर्व आनंद मिलता है।


अच्छे विद्यार्थी अपने जीवन में एक ही मूल मंत्र का पालन करते हैं जो है: संघर्ष का नाम ही जीवन


संघर्ष का अर्थ है-टकराहट। अच्छे विद्यार्थी जीवन में संघर्ष का अर्थ आने वाली बाधा को पार करना है। अच्छे विद्यार्थी हमेशा इसी सकारात्मक सोच के साथ जीते हैं की जीवन में संघर्ष ही संघर्ष हैं। अच्छे विद्यार्थी के अनुसार जन्म लेते ही संघर्ष शुरू हो जाते हैं। शिशु को भोजन और सुरक्षा का संघर्ष सहना पड़ता है। वह रो चीखकर बताता है कि उसे दूध और सुरक्षा चाहिए। बड़ा होने पर संकटों के रूप बदल जाते हैं लेकिन चुनौतियाँ बनी रहती हैं। वास्तव में संघर्षों को झेलने और पार करने पर ही अच्छे विद्यार्थी के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। यदि गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में अपमान की घटनाएँ न झेली होतीं तो वे महान नेता नहीं बन पाते। यदि सुभाष या सावरकर संघर्षों की चक्की में न पिसे होते तो इतने महान न पाते। सुभाष ने देश से बाहर जाकर भी अंग्रेजों को बाहर खदेड़ने का दुस्साहस किया। सावरकर ने काले पानी की सज़ा पाकर भी गोरे शासन को चुनौती दी। वास्तव में अपने जीवन में आने वाले हर संघर्ष और चुनौती का सामना करना हमारा कर्तव्य है। इसी से जीवन में रस भी आता है और जीवन सार्थक बनता है।


अच्छे विद्यार्थी जिंदगी को जिंदादिली के साथ जीते हैं

किसी शायर ने लिखा है: “जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं।”


जिन विद्यार्थियों के मन में  हमेशा उत्साह, जोश और उमंग का वास होता है, वही विद्यार्थी सही अर्थों में अच्छे विद्यार्थी हैं। इसके विपरीत जो लोग हमेशा निराशा, उदासी और दुख के बादलों से घिरे रहते हैं, उनका जीवन निरर्थक होता है। उत्साह के लिए हिम्मत का होना भी आवश्यक होता है। हिम्मत और उत्साह का चोली-दामन का संबंध है। जो डरपोक होता है, वह कभी कोई अच्छा कार्य करने का जोखिम नहीं उठा सकता। अच्छे विद्यार्थी हमेशा इसी सोच के साथ जीते हैं कि वास्तव में जीवन का असली आनंद भी वही उठाता है जो खतरे झेल सकता है। अच्छे विद्यार्थी हमेशा यही कहते हैं-डर के आगे जीत है। डर को दूर भगाने के लिए भी टक्कर मारने की ताकत और दुख सहने की शक्ति चाहिए। इस राह पर चाहे कुछ कष्ट और बाधाएँ हों, किंतु आत्मसंतोष बहुत गहरा होता है।


अच्छे विद्यार्थी के जीवन में संयम ही सदाचार है


एक अच्छे विद्यार्थी के जीवन में ‘संयम’ का अर्थ है-उचित नियंत्रण। ‘सम्’ का अर्थ है-उचित। ‘यम’ का अर्थ है-नियंत्रण। अच्छा विद्यार्थी तब सदाचारी कहलाता है जब अच्छा आचरण करता है। सदाचारी विद्यार्थी का मन भी चंचल होता है।  विद्यार्थी का चंचल मन उसे भटकाता है, बहलाता-फुसलाता है। परंतु सदाचारी अच्छा विद्यार्थी संयम की शक्ति से चंचलता पर रोक लगाता है। अच्छा विद्यार्थी उचित इच्छा को आदर देता और अनुचित ‘कामना’ को इनकार कर देता है। सही अर्थों में यही सद्नीति है, यही नैतिकता है। नैतिकता का एकमात्र अर्थ  है-उचित माने जाने वाले आचरण को अपनाना और अनुचित पर रोक लगाना। अच्छा विद्यार्थी प्रायः अहिंसा, प्रेम, शांति, सहयोग, मित्रता आदि गुणों सदाचार के अंतर्गत अपनाता है। इनके विपरीत हिंसा, क्रोध, द्वेष, वासना आदि दुर्गुण सदाचार के विरोधी माने जाते हैं। यदि सदाचारी बनना है तो केवल शुभ मार्ग पर चलना ही एक काम नहीं है, अशुभ कार्यों से बचना भी एक काम है।


अच्छे विद्यार्थी का परम गुण आत्मनिर्भरता है


आत्मनिर्भरता का अर्थ है-स्वयं पर भरोसा रखना। अपनी शक्तियों के बल पर जीने वाले अच्छे विद्यार्थी सदा स्वतंत्र तथा सुखी जीवन जीते है। ईश्वर भी उसी की सहायता करता है, जो अच्छे विद्यार्थी अपनी सहायता अर्थात् अपना कार्य स्वयं करते हैं। इसके विपरीत जिन विद्यार्थी को दूसरों का आश्रय लेने की आदत पड़ जाती है, वे उन लोगों और आदतों के गुलाम बन जाते हैं। उनके भीतर सोई हुई शक्तियाँ मर जाती हैं। उनका आत्मविश्वास घटने लगता है। संकट के क्षण में ऐसे पराधीन विद्यार्थी झट से घुटने टेकने को विवश हो जाते हैं। जिन्हें छड़ी से चलने का अभ्यास हो जाता है, उनकी टाँगों की शक्ति कम होने लगती है। इसलिए अन्य लोगों की बैसाखियों को छोड़कर अपने ही पुट्ठे मजबूत करने चाहिए, क्योंकि संकट के क्षण में बैसाखियाँ नहीं काम आतीं।वहाँ अपनी शक्तियाँ,अपना रुधिर काम आता है।आत्मनिर्भर अच्छे विद्यार्थी ही  नए-नए कार्य संपन्न करने की हिम्मत कर सकता है।अच्छे विद्यार्थी विश्वासपूर्वक अपना तथा समाज का भला कर सकते है।


अच्छे विद्यार्थी “काल्ह करै सो आज कर” की नीति पर विश्वास करते हैं


‘काल्ह करै सो आज कर’ का शाब्दिक अर्थ है-जो तू कल करेगा, उसे आज ही कर दे। अच्छे विद्यार्थी को अच्छे कार्य करने में देर नहीं करनी चाहिए। यदि विद्यार्थी को जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो उसे समय का सम्मान करना सीखना होगा। जिसे अपने उद्देश्य में सफल होना हो, उसे समय रहते पूरे कार्य की योजना बना लेनी चाहिए। फिर उस योजना के अनुसार काम आरंभ कर देना चाहिए। अच्छे विद्यार्थी को सोचने में ही समय को गँवाना नहीं चाहिए। जो विद्यार्थी आज का काम कल पर और कल का काम परसों पर टालते चले जाते हैं, वे एक दिन अपना सब कुछ नष्ट कर बैठते हैं। यह टालू प्रवृत्ति बहुत घातक है। अधिकतर अच्छे विद्यार्थी समय-सारिणी बनाते हैं। किंतु इसके विपरीत कुछ विद्यार्थी समय सारणी बनाते हैं,एक-दो दिन उस पर चलने के बाद काम को कल पर टालना शुरू कर देते हैं।परिणामस्वरूप ढेरों काम इकट्ठा हो जाता है। एक दिन वह काम उसके वश से बाहर हो जाता है। ऐसा छात्र हिम्मत हार बैठता है। पहले दिन जो छात्र कक्षा में प्रथम आने की बात सोचता था, अब उसे उत्तीर्ण होने के लिए भी एड़ियाँ रगड़नी पड़ती हैं। इसलिए अच्छे विद्यार्थी यह सूक्ति “काल्ह करै सो आज कर” को नियमित रूप से अपने मस्तिष्क में रखते हैं।


विद्यार्थी का क्या कर्तव्य है?

अच्छे विद्यार्थी को हमेशा माता पिता , शिक्षकों , बड़ों की आज्ञाओं को हमेशा पालन करना चाहिए। जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या और अनुशासन दोनों आवश्यक हैं। विद्या का अंतिम लक्ष्य है-इस जीवन को मधुर तथा सुविधापूर्ण बनाना। अनुशासन का भी यही लक्ष्य है। अनुशासन भी एक प्रकार की विद्या अपनी दिनचर्या, भजन चाल, रहन-सहन, सोच-विचार और अपने समस्त व्यवहार को व्यवस्थित करना ही अनुशासन है। विद्यार्थी के लिए अनुशासित होना परम आवश्यक है।


मानवता के प्रति विद्यार्थी क्या कर्तव्य है?

हर एक विद्यार्थी के अंदर सहायता का गुण होना आवश्यक है। उसके लिए उन्हें कोई मौका या जगह का होना जरूरी नहीं है, वह कई प्रकार से मदद कर सकते हैं । अच्छे विद्यार्थी में स्वार्थ का गुण नहीं होना चाहिए उसे खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए। एक अच्छा विद्यार्थी हमेशा सकारात्मक सोच के साथ जीता है। अच्छे विद्यार्थी का कर्तव्य है कि  निस्वार्थ भाव से सभी की सहायता करना चाहे वह कक्षा का सहपाठी ही क्यों ना हो। जैसे कि रास्ता क्रॉस करने के समय किसी बूढ़े व्यक्ति की मदद करना, अपनी पुरानी किताबों को गरीब बच्चों को देना, आदि ।


विद्यार्थी जीवन में समय का क्या महत्व है?

अच्छे विद्यार्थी के जीवन में समय बहुत ही मूल्यवान है।इसका भी ध्यान आदर्श विद्यार्थी को रखना चाहिए । समय समय पर अपना काम खुद ही करना चाहिए जैसे कि समय पर विद्यालय जाना, अपनी पढ़ाई खुद ही करना, खेलने के समय खेलना  और मनोरंजन के समय मनोरंजन करना ।


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