बिना मेहनत अरबपति खरबपति कैसे बने इनसे सीखे


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  दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे जमीन मुआवजा से बड़ा निकला समितियों का भूमि घोटाला


 मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए चिह्नित जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी गई थी। बावजूद इसके इस रोक के दरकिनार करके अधिकारियों और रसूखदार लोगों ने अपने रिश्तेदारों और परिचितों नाम किसानों से सस्ते दाम में जमीन खरीदी।


दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे जमीन मुआवजा से बड़ा निकला समितियों का भूमि घोटाला


दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे जमीन मुआवजा घोटाला से भी बड़ा दिल्ली से सटे गाजियाबाद में अशोक संयुक्त सहकारी खेती समिति और अशोक सहकारी गृह निर्माण समिति द्वारा किया गया भूमि घोटाला है। इसका खुलासा होने के बाद से आलाधिकारियों में हड़कंप मच गया है।


अब इसकी फाइल जिला प्रशासन द्वारा तैयार की जा रही है, अब तक इन दोनों समितियों और सदस्यों के पास 600 बीघा पुख्ता से अधिक संपत्ति गाजियाबाद जिले में होने की जानकारी जिला प्रशासन को हुई है, इनमें से ज्यादातर जमीन पट्टे की है। जबकि नियम के तहत समिति का पंजीकरण निरस्त होने के बाद समिति के नाम की संपत्ति सन 1999 में ही सील हो जानी चाहिए थी। इस जमीन की कीमत अरबों रुपये में है।



तय सीमा से अधिक जमीन के मालिक थे समिति के सदस्य, सील होने के डर से किए बैनामे


दस सदस्य दोनों समितियों में


गाजियाबाद जिला प्रशासन की जांच में सामने आया है कि दोनों समितियों में कुल 32 सदस्य हैं, इनमें से 10 सदस्य ऐसे हैं। जिनका नाम दोनों समिति में है। इनमें भी छह सदस्य ऐसे हैं, जो कि अलग-अलग समिति में हैं, लेकिन रिश्ते में पति-पत्नी हैं।





यह है पूरा मामला

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के भूमि अधिग्रहण में 22 करोड़ का घोटाला, FIR दर्ज


दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए 2012 में जमीन अधिग्रहण के संबंध में 3-डी की अधिसूचना जारी की गई थी, इसके बाद डीएमई के लिए चिह्नित जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी गई थी। बावजूद इसके अधिकारियों और रसूखदार लोगों ने परिचितों के नाम किसानों से सस्ते दाम में जमीन खरीदी। फिर आर्बिटेशन वाद डाला, जिसमें तत्कालीन जिलाधिकारी विमल कुमार शर्मा और निधि केसरवानी ने मुआवजा 10 गुना से अधिक बढ़ा दिया था। जिस कारण खरीदार कुछ ही माह में करोड़पति बन गए।


मिली जानकारी के मुताबिक, यह घोटाला 22 करोड़ रुपये का बताया गया है। जबकि जमीनों की खरीद फरोख्त में अशोक संयुक्त सहकारी खेती समिति और अशोक सहकारी गृह निर्माण समिति का नाम सामने आया है, जिसमें अब तक चार एफआइआर दर्ज कराई जा चुकी हैं।



22 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले में महज 8.29 लाख रुपये की वसूली


दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे जमीन मुआवजा घोटाला में गलत तरीके से मुआवजा लेने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिला प्रशासन द्वारा 22 करोड़ रुपये के इस घोटाले में मुआवजे की रकम वापस करने के लिए 45 लोगों को नोटिस जारी किया गया था, इनमें से महज चार ने अब तक मुआवजा जमा करवाया है।


दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए जिला प्रशासन द्वारा रसूलपुर सिकरोड़, मटियाला, डासना सहित कई गांवों में जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इसके लिए 2012 में 3डी की अधिसूचना जारी की गई थी। इसके बाद संबंधित जमीन के बैनामे पर रोक लगा दी गई थी लेकिन लालच में कई लोगों ने किसानों को गुमराह कर उनकी जमीन का बैनामा अपने नाम करा लिया था, किसानों से सस्ते दाम में जमीन लेकर उस पर कई गुना अधिक मुआवजा प्राप्त किया था। इसमें अधिकारियों के परिवार के सदस्य और रिश्तेदार भी शामिल रहे हैं।



जिला प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, इस मामले में 45 लोगों के खिलाफ नोटिस जारी कर उनसे मुआवजे की रकम जमा कराने के लिए कहा गया था। मुआवजे की रकम जमा न करने पर रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किया गया था। अब तक सिर्फ चार लोगों ने कुल 8.29 लाख रुपये जमा कराए हैं, लाखों और करोड़ों रुपये का मुआवजा लेने वाले ज्यादातर लोगों ने मुआवजे की धनराशि वापस नहीं लौटाई है। वह इस मामले को हाई कोर्ट ले गए, कोर्ट से उनको स्टे मिला है। चार लोग ऐसे हैं, जिनको कोर्ट से स्टे नहीं मिला है लेकिन उन्होंने भी अब तक मुआवजे की धनराशि वापस नहीं की है।



इन्होंने जमा कराया मुआवजा

नाम जमा कराई मुआवजे की धनराशि-


रामअवतार जिदल 7,19,621 रुपये


अरुणा सिघल 24,520 रुपये


सुभाष जैन 61,300 रुपये


स्वाति अग्रवाल 24,520 रुपये




इन चार लोगों ने स्टे न मिलने पर भी नहीं वापस किया मुआवजा-


नाम धनराशि


विपिन अग्रवाल 82,16,000 रुपये


राजेश कुमार अग्रवाल 82,16,000 रुपये


राकेश गोयल 3,64,304 रुपये


प्राची गुप्ता 3,74,304 रुपये

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