इधर भी ध्यान दीजिए योगी जी, यमुना डूब क्षेत्र में 2000 अवैध फार्म हाउस पर कब चलेगा बुलडोजर ?

 


इधर भी ध्यान दीजिए योगी जी, 

यमुना डूब क्षेत्र में 2000 अवैध फार्म हाउस पर कब चलेगा बुलडोजर ?



पड़ताल में सामने आया है कि यमुना के डूब क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में अवैध फार्म हाउस बने हैं। यहां पर क्रिकेट स्टेडियम में लेकर बग्गी घुड़सवारी स्वीमिंग पूल एवं रात में ठहरने के लिए लग्जरी कमरे बने हुए हैं।


पूरे उत्तर प्रदेश में अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ सीएम योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर का खौफ कायम है, लेकिन यमुना क्षेत्र में इसका असर नहीं है। वहीं, अधिकारी भी अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई को लेकर रुच नहीं ले रहे हैं। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दिखावा ही किया जाता है। ताजा मामला हाल फिलहाल का है। 


नोएडा प्राधिकरण तिलवाड़ा और गुलावली गांव में 62 अवैध फार्म हाउसों को ध्वस्त कर सरकार और जनता की नजरों में भले ही वाहवाही लूट रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और है। प्राधिकरण की मिलीभगत से ही इन फार्म हाउसों का निर्माण हुआ। ऐसा नहीं है कि एक दिन में फार्म हाउस बन गए। पिछले पांच वर्षों से इनका निर्माण हो रहा था। प्राधिकरण अधिकारी प्रतिदिन वहां से गुजरते थे, लेकिन पांच साल प्राधिकरण अधिकारी आंख मूंदे रहे।



बताया जा रहा है कि तिलवाड़ा और गुलावली गांव में की गई कार्रवाई तो नाम मात्र की हुई है। यमुना के डूब क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में अवैध फार्म हाउस बने हैं। इनमें तमाम सुख, सुविधाएं मौजूद हैं। क्रिकेट स्टेडियम में लेकर बग्गी, घुड़सवारी, स्वीमिंग पूल एवं रात में ठहरने के लिए लग्जरी कमरे बने हुए हैं। इनमें प्राधिकरण अधिकारियों के भी फार्म हाउस हैं।


नोएडा प्राधिकरण की कार्यशैली पर यह सबसे बड़ा सवाल है कि इतनी संख्या में अवैध फार्म हाउस कैसे बन गए। यह भी सवाल उठता है कि क्या इन फार्म हाउसों पर भी प्राधिकरण का बुलडोजर चलेगा अथवा अपने चहेते लोगों के फार्म हाउसों को प्राधिकरण छोड़ देगा।


प्राधिकरण, प्रशासन और सिंचाई विभाग के गठजोड़ के कारण भू-माफिया को नोएडा की बेशकीमती जमीन पर कब्जा कर अवैध फार्म हाउस बनने की छूट मिली हुई है। पूर्व में पुलिस की मिलीभगत भी इसमें रही है। देखते-देखते नोएडा के यमुना डूब क्षेत्र में एक दो नहीं, बल्कि दो हजार से अधिक फार्म हाउस खड़े हो चुके है। किसी भी विभाग ने भूमि की निगरानी नहीं की।


यही तीनों विभाग सरकार की आंख, कान और हाथ है। जिन्हें सरकारी संपत्तियों की निगरानी ही नहीं करनी है, बल्कि शिकायत मिलने पर हाथ बढ़ाकर कार्रवाई भी करनी है लेकिन सरकार की उम्मीद के हिसाब से काम नहीं हो पा रहा है।


कई जगह फैला है अवैध फार्मों का जाल


कालिंदी कुंज स्थित सेक्टर-94 व 135 से सेक्टर-168 तक करीब 25 किलोमीटर लंबे और एक किलोमीटर चौड़े दो हजार हेक्टेयर डूब क्षेत्र में दो हजार से अधिक फार्म हाउस संचालित हो रहे है। यह फार्म हाउस पुश्ता रोड पर चलते समय हर आदमी को दिखता है, लेकिन इन तीनों विभाग के अधिकारी देखकर अनदेखा कर देते हैं। यह हाल तब है, जब वर्ष 2019 से डूब क्षेत्र में अतिक्रमण बढ़ने की शिकायत शासन, प्रशासन, प्राधिकरण तक लगातार की जा रही है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति हो रही है।


यूपी दिवस से पहले पूरा महकमा बदल दिया था


जनवरी 2021 में दिल्ली भाजपा पदाधिकारियों ने नोएडा महानगर पदाधिकारियों के सहयोग से डूब क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की थी। यूपी दिवस पर नोएडा में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम सेक्टर-33 स्थित नोएडा शिल्प हाट में होना था। उसके चंद दिन पहले उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग का पूरा महकमा बदल दिया गया था, जिसमे एई से लेकर एक्सईएन तक का तबादला हुआ। यह चर्चा का विषय बना, उसके बाद उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने प्रशासन के सहयोग से दिल्ली की तरफ से डूब क्षेत्र में कार्रवाई कर 200 करोड़ की जमीन अतिक्रमण मुक्त कराई थी।


फार्म हाउस खरीदने के लिए विज्ञापन से पटी सड़क


पुश्ता रोड की बाउंड्री वाल में सिर्फ फार्म हाउस बुक कराने और किसानों से सीधे जमीन खरीदने के विज्ञापन चस्पा है। इनको दीवारों पर पेंट किया गया है। यह बड़ी बात है कि जिन फार्म हाउसों का अवैध निर्माण किया गया उनका विज्ञापन इस तरह से किया जा रहा है।


पुश्ता रोड पर लगे हैं नोएडा प्राधिकरण के चेतावनी बोर्ड


पुश्ता रोड पर नोएडा प्राधिकरण के चेतावनी बोर्ड लगे हैं। इन बोर्ड में लिखा है कि एनजीटी के निर्देश के अनुसार डूब क्षेत्र में फार्म हाउस का निर्माण करना अवैध है। इसके बाद भी ठीक बोर्ड के सामने और पुश्ता से यमुना की तरफ 100 मीटर अंदर जाने पर हकीकत सामने आ जाती है। यहां सिर्फ फार्म हाउस ही दिखते है और कुछ नहीं।


2005 में ध्वस्त कर दिए गए थे फार्म हाउस, बाद में फिर से निर्माण कर लिया गया


बताया जा रहा है कि यमुना नदी डूब क्षेत्र में बने ज्यादातर फार्म हाउस प्रभावशाली लोगों के हैं। प्राधिकरण में तमाम सीईओ व गौतमबुद्ध नगर में डीएम आए, लेकिन किसी भी अधिकारी ने इन पर हाथ नहीं डाला। 2005 में गौतमबुद्ध नगर के तत्कालीन जिलाधिकारी संतोष यादव ने हिम्मत दिखाते हुए पहली बार इन फार्म हाउसों को ध्वस्त किया था। एक सप्ताह तक चली कार्रवाई में सभी फार्म हाउसों को ध्वस्त कर दिया गया था, लेकिन उनका तबादला होते ही फिर से इनका निर्माण हो गया।


लाइट के लिए सोलर पैनल का प्रयोग


फार्म हाउसों में बिजली के लिए सोलर पैनल का प्रयोग करते है। पुश्ता से उतरने पर टूटी सड़क मिलती है लेकिन 100 मीटर अंदर जाते ही शानदार सड़क की कनेक्टिविटी है। फार्म हाउस के आलीशान गेट हैं, जो रात में सोलर लाइट से जगमगाते हैं।


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