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M.COM. P-ASSOCIATION OF ATTRIBUTES

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 ################################## ASSOCIATION OF ATTRIBUTES ########### ########### ########### Association of Attributes This is a well-known truth that statistical methods deal with quantitative facts only. The quantitative data may arise in two different ways : (1) The characteristics which are capable of being measured quantitatively are termed as statistics of variables (numerical classification); for instance, height, weight, wages, length, income, expenditure, etc. (2) The characteristics which are not capable of quantitative measurement, are termed as statistics of attributes (descriptive classification). There are certain phenomena like blindness, dumbness, deafness, literacy, etc., which cannot be measured directly. In such cases their presence or absence only can be studied. The quantitative character in such cases arise solely by counting. For example, we can say that an item is defective or not defective, a candidate appeared for an examination may pass or fail. Thus, st

आरएसएस के वे 5 चेहरे, जो तय करते हैं आर्थिक नीति

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  आरएसएस के वे 5 चेहरे, जो तय करते हैं आर्थिक नीति   देश के आर्थिक मुद्दों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का क्या दृष्टिकोण होना चाहिए, यह तय करने में पांच प्रमुख चेहरे अहम भूमिका निभाते हैं। ये वे चेहरे हैं जो आदर्शवाद (आइडियलिज्म) और यथार्थवाद (रियलिज्म) के बीच की नीतियां बनाने में यकीन रखते हैं, ताकि मोदी सरकार में संघ का उस तरह से टकराव न हो, जिस तरह से कभी वाजपेयी सरकार के जमाने में होता था। संघ से जुड़े सूत्रों का तो कुछ ऐसा ही कहना है।  ये चेहरे तय करते हैं संघ का आर्थिक ²ष्टिकोण : सुरेश सोनी : आरएसएस में सह सर कार्यवाह (ज्वाइंट सेक्रेटरी) सुरेश सोनी अर्थशास्त्र पर अच्छी पकड़ रखते हैं और इस विषय पर किताब भी लिख चुके हैं। संघ सूत्रों का कहना है कि आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाला स्वदेशी जागरण मंच, लघु उद्योग भारती के पदाधिकारी सुरेश सोनी को रिपोर्ट करते हैं। बजरंग लाल गुप्ता : आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक बजरंग लाल गुप्ता अर्थशास्त्री भी हैं। अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे हैं। संघ में इस वक्त उत्तर क्षेत्र संघचालक के तौर पर काम कर रहे बजरंग लाल गुप्ता ने भारत का आर्थिक इतिहास, हि

प्रबन्ध : अवधारणा, प्रकृति एवं महत्त्व [MANAGEMENT : CONCEPT, NATURE And SIGNIFICANCE] PART-1/4

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 प्रबन्ध : अवधारणा, प्रकृति एवं महत्त्व [MANAGEMENT : CONCEPT, NATURE And SIGNIFICANCE] PART-1/4 ################################## प्रबन्ध एक ऐसा शब्द है जिससे लगभग प्रत्येक व्यक्ति यहाँ तक कि अशिक्षित व्यक्ति भी परिचित है। हम जब सिनेमाघर (Picture-house) जाते हैं. तो देखते हैं कि वहाँ पर एक कमर क बाहर प्रबन्धक या मैनेजर (Manager) की नाम पट्टी (Name Plate) लगी हुई है, जब हम किसा भा बैंक में जाते हैं तो देखते हैं कि यद्यपि बैंक के सभी कर्मचारी एक साथ पास-पास बैठकर अपना-अपना कार्य कर रहे हैं. परन्त एक कक्ष में अलग से एक व्यक्ति बैठा हे से एक व्यक्ति बैठा है एवं उसके कक्ष के बाहर ‘ब्रांच मैनेजर’ या ‘शाखा प्रबन्धक’ की नाम पट्टी लगी हुई है। जब हम कॉलिज में जाते हैं, तो पता चलता है कि उस कॉलिज की प्रबन्ध समिति में अमुक व्यक्ति प्रबन्धक है। किसी होटल में जाते हैं, तो वहाँ पर भी प्रबन्धक नाम का व्यक्ति देखने को मिलता है। किसी कारखाने या अन्य किसी संस्था में जाते हैं, तो वहाँ भी प्रबन्धक या मैनेजर अवश्य होता है। जीवन बीमा निगम के कार्यालय में किसी काम से जाना पड़ जाये तो वहाँ पर भी प्रबन्धक (मै

ISSUE OF DEBENTURES

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 ################################## ISSUE OF DEBENTURES ################################## Issue of Debentures Meaning of Debenture – A company can raise funds by issuing debentures. A debenture is an instrument of acknowledgement of a debt under the common seal of the company. In actual practice, debentures refer to long-term or perpetual indebtedness. According to Section 2 (12) of Indian Companies Act, debenture includes debenture stock, bonds and any other securities of a company, whether constituting a charge om the assets of the company or not.” Terms of repayment of the principal sum and payment of interest are given in each debenture certificate. It is usual to prefix “Debentures” with the rate of interest. Thus, if the rate of interest is 12%, the name given will be “12% Debentures.” Kinds of Debentures Debentures are classified from various point of views as follows: (1) From security point of view – From this point of view, debentures may be put into two categories – naked d

E-COMMERCE- MCQ ON ONLINE BANKING AND ITS BENEFIT PART – 1

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 E-COMMERCE-  MCQ ON ONLINE BANKING AND ITS BENEFIT  PART – 1 1. A cheque dated subsequent to the date of its issue is ___________. A. post dated cheque B. blank cheque C. crossed cheque D. account payee cheque ANSWER: A 2. A cheque date before the date of its issue is ___________. A. ante dated cheque. B. full worth cheque C. preemptive cheque. D. worth cheque ANSWER: A 3. A drawer can also be a _________. A. Payee. B. paymaster. C. banker D. creditor ANSWER: A 4. The rate at which RBI discounts approved bill of exchange is ___________. A. bank rate B. interest rate C. exchange rate D. discount rate ANSWER: D 5. _____ headed the committee on Computerization in Indian banks (1988). A. M. Narasimhan. B. M.M. Shah. C. M. Venkat Ram D. Raj Foster ANSWER: A 6. The Word Bank has been derived from a Latin word which means _______. A. a bench for the keeping, lending and exchanging etc. of money. B. an institution for meeting people. C. place, where persons can relax D. an institution for coo

रोजगार के अवसर बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए संघ का आर्थिक मॉडल अपनाना होगा

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 रोजगार के अवसर बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए संघ का आर्थिक मॉडल अपनाना होगा   रोजगार के अवसर बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए संघ का आर्थिक मॉडल अपनाना होगा देखने के लिए आंखें, सुनने के लिए कान, सोचने के लिए मन और काम करने के लिए हाथ-पैर भगवान ने सोच-समझकर बनाए हैं। साथ में भूख, प्यास और भोग-लालसा भी है। इन साधनों का सही और सार्थक प्रयोग करने से प्राणी अपने प्राणों का पालन-पोषण आराम से कर सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कर्णावती के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की 11-13 मार्च 2022 की बैठक में देश में एक ऐसा आर्थिक मॉडल विकसित करने हेतु आग्रह किया है जिसके अंतर्गत मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ-साथ रोजगार के अधिक अवसर निर्मित हो सके। जिससे कुटीर एवं लघु उद्योगों का ग्रामीण इलाकों में विस्तार किया जा सके। संघ के ये स्वावलम्बी एवं आत्मनिर्भर अर्थतंत्र के ये विचार, दर्शन, कार्यक्रम एवं इतिहास प्रारंभ से ही सशक्त एवं सुदृढ़ राष्ट्र-निर्माण का आधार रहे हैं। संघ का भारत की आजादी एवं इसके नवनिर्माण में अभूतपूर्व योगदान रहा है और अब भारत को समग्र दृष्ट