साक्षात्कार अथवा मौखिकी परीक्षा के दौरान डिजिटल मार्केटिंग में पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब
साक्षात्कार अथवा मौखिकी परीक्षा के दौरान डिजिटल मार्केटिंग में पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब
खंड-क
आज के समय में हर कोई एक अच्छी नौकरी हासिल करना चाहता है और इसके लिए अच्छी प्रोफाइल भी बनानी बहुत जरूरी होता है क्योंकि इसी के आधार पर आपको अच्छी जॉब मिल पाती है. आज सबसे ज्यादा नौकरियां डिजिटल मार्केटिंग में निकलती है और इसमें काफी लोग अपना करियर बनाना चाहते है. जी हाँ, इस प्रोफाइल में आज बहुत जगह नौकरियां निकलती रहती है और साथ ही अच्छी सैलरी भी मिलती है. तो आज आप इस आर्टिकल में डिजिटल मार्केटिंग में होने वाले इंटरव्यू के बारे में जानेंगे कि यह क्या होता है और इसके इंटरव्यू में क्या-क्या पूछा जाता है.
डिजिटल मार्केटिंग में उपयोग किये जाने वाले संक्षिप्त रूप
तो आइये, जानते है कि यह क्या होता है और इसके इंटरव्यू में कैसे सवाल पूछे जाते है और उनके सवाल और जवाब.
1-डिजिटल मार्केटिंग क्या है ?
डिजिटल मार्केटिंग, जो कि मार्केटिंग का एक तरीका है जो की डिजिटल टेक्नोलॉजी को उपयोग करके किया जाता है. इसमें अलग-अलग माध्यम से आप अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर सकते हैं जैसे कि सर्च एड्स, डिस्प्ले एड्स, मोबाइल फ़ोन इत्यादि.
डिजिटल मार्केटिंग कोई भी कर सकता है जिसे मार्केटिंग और ऑनलाइन मार्केटिंग की नॉलेज हो. इसमें अलग-अलग तरह के प्रोफाइल्स होते हैं जैसे डिजिटल मार्केटर, ऑनलाइन मार्केटर, सोशल मीडिया मार्केटर, कंटेंट मार्केटर, कॉपीराइटर, इत्यादि. और आप इनमें से कोई भी प्रोफाइल पर प्रोफाइल पर नौकरी कर सकते हैं.
2-डिजिटल मार्केटिंग की पहुँच कहाँ तक है ?
डिजिटल मार्केटिंग आज के समय में एक बहुत ही अच्छा और ग्रोइंग फील्ड है और आने वाले दिनों में इसकी जरुरत बढ़ती ही चली जाएगी.
डिजिटल मार्केटिंग इंडस्ट्री इंडिया से लेकर पूरे विश्व में फैली हुई है. पिछले कुछ सालों में भारत में डिजिटलाइजेशन में काफी विकास हुआ है और इसिलए डिजिटल फ़ील्ड्स से जुड़ी नौकरियों की भी मांग बढ़ रही है. एक सर्वे के अनुसार डिजिटल मार्केटिंग की जॉब भारत में पिछले साल के मुकाबले में इस साल कई गुना बढ़ी है. आगे आने वाले समय में डिजिटल इंडिया के साथ डिजिटल मार्केटिंग का स्कोप और भी बढ़ेगा. और मुख्य रूप से कंपनियों और बिजनेस अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए डिजिटल मार्केटिंग की हेल्प लेंगे.
3-कैसे बने एक सफल डिजिटल मार्केटर ?
अब सवाल ये है कि क्या आप भी एक बेहतरीन डिजिटल मार्केटर बनना चाहते हैं ? अगर हाँ, तो हम आपकी पूरी मदद करेंगे. डिजिटल मार्केटर बनने के लिए सबसे पहले तो आपको एक अच्छा रिज्यूमे/सीवी बनाना होगा चाहे आप फ्रेशर हो या अनुभवी. यहाँ आप जान सकते हैं कि एक अच्छा रिज्यूमे/सीवी कैसे बनाया जाता है.
खंड-ख
अगर आपका रिज्यूमे तैयार हो गया है तो अब अगला स्टेप है डिजिटल मार्केटिंग के इंटरव्यू की तैयारी. सामान्यतया एक डिजिटल मार्केटर की प्रोफाइल के लिए बेसिक लेवल से लेकर एडवांस्ड लेवल तक के सवाल पूछे जाते हैं. इस ब्लॉग में हमने विश्वशनीय रिसोर्स की मदद से बेसिक लेवल के सवालों से लेकर एडवांस्ड लेवल क सवालों और उनके जवाब को तैयार किये है. तो आईये जानते हैं कि डिजिटल मार्केटिंग के इंटरव्यू में क्या-क्या पूछा जाता है और इसकी तैयारी कैसे करते है.
प्र.1) गूगल सर्च क्या है ?
उत्तर.1) गूगल सर्च के 3 स्टेप होते है –
क्रॉलिंग और इंडेक्सिंग
क्रॉलिंग एक प्रोसेस है जिसमें क्रॉलर्स गूगल के सर्च इंडेक्स किसी भी वेबपेज या किसी भी उपलब्ध कंटेंट के इन्फॉर्मेशन को एनालाइज करता है.
सर्च एल्गोरिथम
सर्च एल्गोरिथम में गूगल रैंकिंग सिस्टम सैकड़ों वेब पेजों से उपयोगी परिणामों को कुछ ही मिनटों में ढूंढ कर निकाल लेटे है.
यूजफुल रिस्पोंस
आज की दुनिया में जहाँ इंटरनेट और कंटेंट में बहुत ज्यादा वरायटी मौजूद है लेकिन गूगल सर्च करके आप अच्छी और उपयोगी सामग्री ढूंढ सकते है.
प्र.2) सर्च इंजन क्या होता है ?
उत्तर.2) सर्च इंजन एक सिस्टम सॉफ्टवेयर है जिसे किसी भी स्पेसिफिक इन्फोर्मेशन के जरिया है. सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला सर्च इंजन तो गूगल ही है लेकिन कुछ और भी है जैसे
डक-डक गो
बिंग/याहू
प्र.3) SEO का डिजिटल मार्केटिंग में क्या रोल है ?
उत्तर.3) SEO का पूरा नाम Search Engine Optimization और इसे हिंदी में खोज प्रणाली अनुकूलन कहते है जो कि सर्च इंजन के किसी भी ब्लॉग, कंटेंट, साईट या पेज की विजिबिली बढ़ाता है. दूसरी भाषा में कहा जाये तो SEO आपके पेज की रैंकिंग को सर्च इंजन के पहले पेज पर लाने की सबसे अच्छी स्ट्रेटजी है.
उदाहरण के लिए: आप किसी सर्टिफिकेशन प्रोग्राम के बारे में जानना चाहते हैं. आपने गूगल पर टाइप किया कीवर्ड्स जैसे सर्टिफिकेशन इन डिजिटल मार्केटिंग, डिजिटल मार्केटिंग कोर्स, डिजिटल मार्केटिंग कोर्स और इंडिया में ट्रेनिंग प्रोग्राम्स. इन कीवर्ड्स को टाइप करते ही गूगल आपको पहले पेज पर कई सारे परिणाम दिखाएगा, जिनमें इन्हीं कीवर्ड्स से संबंधित कंटेंट होगा. और जिन कंटेंट में ये कीवर्ड्स नहीं होंगे वो गूगल आपको पहले पेज पर नहीं दिखायेगा.
प्र.4) वेबसाइट में कहाँ-कहाँ कीवर्ड्स का होना जरुरी है ताकि वो रैंकिंग ऑप्टिमाइज़ की जा सके?
उत्तर.4) एक अच्छी गूगल रैंकिंग के लिए यह कुछ एरिया है वेबसाईट के जहाँ कीवर्ड होने जरूरी है –
h1, h2 में कीवर्ड
पेज URL में कीवर्ड
meta tag में कीवर्ड
website title में कीवर्ड
web page content में कीवर्ड
image alt tags में कीवर्ड
प्र.5) गूगल एडवर्ड्स क्या है ?
उत्तर.5) एडवर्ड्स एक विज्ञापन सर्विस है उन कंपनियों या लोगों के लिए जो अपने प्रोडक्ट को गूगल पर दिखाना चाहते है. यह PPC अर्थात Pay Per Click एडवर्टाइजिंग सिस्टम पर काम करती है.
प्र.6) डिजिटल मार्केटिंग टर्म को समझाएं ?
उत्तर.6) डिजिटल मार्केटिंग एक वो तरीका है जिससे ऑनलाइन चैनल्स के उपयोग से ब्रांड की मार्केटिंग की जाती है. इसमें कई सारे मेथड्स और टेक्निक्स होती हैं जैसे SEO, SEM, लिंक बिल्डिंग, ईमेल मार्केटिंग, PPC इत्यादि
प्र.7) ऑनलाइन मार्केटिंग के क्या फायदे है ? ऑनलाइन मार्केटिंग ज्यादा क्यों पसंद किया जाता है ?
उत्तर.7) ऑनलाइन मार्केटिंग के ज्यादा पसंद करने के ये कुछ फायदे हैं -ऑनलाइन मार्केटिंग इसलिए पसंद किया जाता है क्यूंकि किसी भी इन्फोर्मेशन को आप ऑनलाइन आसानी से काफी लोगों तक पहुंचा सकते हैं. आप आसानी से अपने ग्राहकों तक अपने प्रोडक्ट की जानकारी पहुंचा सकते हैं और फीडबैक पा सकते हैं. इसके अलावा जब भी आप कोई मार्केटिंग कैंपेन करना चाहे उसमें तुरंत बदलाव भी कर सकते हैं. ऑनलाइन मार्केटिंग काफी कम पैसे में की जा सकती है. साथ ही आप काफी हद तक अपने ऑडियंस को टारगेट कर सकते हैं.
प्र.8) गूगल एडवर्ड्स कैसे काम करता है ?
उत्तर.8) गूगल एडवर्ड्स सामान्यत ऑक्शन सिस्टम की तरह काम करता है. आप एडवर्ड्स पर अपने खुद के एड्स चला सकते हैं और जैसे ही कोई आपके प्रोडक्ट से रिलेटेड कीवर्ड को सर्च करेगा तो गूगल आपके एड या कहें तो विज्ञापन को सर्च रिजल्ट पर सबसे टॉप पर दिखायेगा. इसके अलावा एडवर्ड्स PPC (हर क्लिक पर पैसा) के आधार पर काम करता है यानि जैसे ही कोई उस एड पर क्लिक करेगा तो आपको गूगल को कुछ पैसे देने पड़ेंगे जो कि आपके गूगल अकाउंट से काट लिए जाते है.
प्र.9) वेब ट्रैफिक क्या होता है ?
उत्तर.9) वेबसाइट ट्रैफिक उसको कहा जाता है जो आपकी वेबसाईट पर आते है किसी कारण. वेब ट्रैफिक को जितने लोग देखते है उसके आधार पर मापा जाता है. जिसे हम सेशंस भी कहते है और यह एक कॉमन तरिका होता है किसी भी ऑनलाइन बिजनेस के बारे में जानने में.
प्र.10) किसी वेबसाईट पर ट्रैफिक को बेहतर करने में क्या करना चाहिए ?
उत्तर.10) किसी भी वेबसाईट के ट्रैफिक को बेहतर करने क लिए हमे रेफरिंग लिंक्स और SEO पर फोकस करना पड़ता. इससे हमारे विजिटर और बढ़ेंगे और वेबसाईट की औथेनटिटी बढ़ेगी. इसके अलावा यूजर रिटेंशन (यूजर को अपने साथ जोड़े रखना) भी एक काफी महत्वपूर्ण बात है.
प्र.11) गूगल एडवर्ड्स री-मार्केटिंग क्या है ?
उत्तर.11) गूगल एडवर्ड्स री-मार्केटिंग एक लक्षित मार्केटिंग स्ट्रेटजी है. इस टूल के माध्यम से मार्केटर उन लोगों तक दुबारा पहुँच सकते है जिन्होंने एक बार हमारा वेबसाईट देखा हो. री मार्केटिंग से हम उन्हें दुबारा अपने विजिटर तक पहुंचकर उन्हें अपना कंटेंट या प्रोडक्ट दिखा सकते है. री मार्केटिंग का जब विजिटर हमारी वेबसाईट पर आये थे लेकिन वापस गए तो अब उनको हमें और ज्यादा जानकारी एड के माध्यम से देते है.
प्र.12) आप लेटेस्ट डिजिटल मार्केटिंग ट्रेंड को कैसे पता करते है ?
उत्तर.12) सामान्यतः ब्लॉग या फिर वीडियो के माध्यम से आप डिजिटल मार्केटिंग के रेग्युलर अपडेट पा सकते है. या फिर किसी मेंटर की मदद भी इसमें आप ले सकते है.
ख़ास टिप – डिजिटल मार्केटिंग एक डायनामिक और इवॉल्विंग फील्ड है. इसलिए ये बहुत जरूरी है कि एक डिजिटल मार्केटर होने के नाते आप ब्लॉग्स, पुस्तक या वेबसाईट की मदद से आने वाले ट्रेंड से अपडेटेड रहे. यहाँ हम कुछ रेफेर्रल्स बता रहे है जिनसे जुड़े रहकर आप अपने आपको डिजिटल मार्केटिंग फील्ड में अपडेटेड रख सकते हैं और यही रेफेर्रल्स आप उत्तर में भी बता सकते हैं –
Quick Sprout
MOZ
Social media examiner
Ahref blog
Search engine journal
Adespresso
Jon Loomer
प्र.13) डिजिटल मार्केटिंग करने के क्या-क्या तरीके है ?
उत्तर.13) डिजिटल मार्केटिंग करने के ये कुछ तरीके है –
सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO)
सर्च इंजन मार्केटिंग (SEM)
कंटेंट मार्केटिंग
ई-कॉमर्स और
ईमेल मार्केटिंग
प्र.14) डिजिटल मार्केटिंग में “कीवर्ड्स” क्या होता है ? SEO में इसकी क्या मुख्यता है ?
उत्तर.14) जब भी हमे कोई उपयोगी जानकारी ढूंढ़नी होती है वो उस जानकारी से रिलेटेड कीवर्ड ही होता है जिसे हम सर्च इंजन में डालते हैं. कीवर्ड्स SEO और अच्छे पेज रैंकिंग के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है. कीवर्ड्स की प्लेसमेंट पेज रैंकिंग में काफी महत्वपूर्ण होता है.
प्र.15) पीपीसी (PPC) क्या है ?
उत्तर.16) पीपीसी का पूरा नाम (Pay Per Click) होता है. अर्थात अगर हम हिंदी में बताएं तो इसे हम ऐसे कहेंगे कि अगर कोई एड पर क्लिक करेगा तो ही पैसा कटेगा अन्यथा नहीं. यह एक एडवर्टाइजिंग टेक्निक है जिससे हम वेबसाईट पर सीधे ट्रैफिक बढ़ा सकते है. इसे कॉस्ट पर क्लिक (Cost Per Click) भी कहा जाता है. एडवरटाजर अपनी वेबसाईट के एड पर क्लिक होते ही उनके अकाउंट से पैसे कट हो जाते है.
प्र.16) कुछ पीपीसी टूल्स के नाम बताइये ?
उत्तर.17) नीचे दिए कुछ पीपीसी टूल्स के नाम आप इंटरव्यू में बता सकते है –
SEMrush
Optimizely
Unbounce
Keyword planner
AdWords Wrapper
प्र.17) SEO और SEM में क्या अंतर है ?
उत्तर.18) SEO जिसका पूरा नाम (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन) होता है. यह आपकी वेबसाईट, ब्लॉग की रैंकिंग और सर्च्ग इंजन रिजल्ट के पेजों पर आपकी वेबसाईट या ब्लॉग को ज्यादा दिखाते है.
SEM इसका पूरा नाम (सर्च इंजन मार्केटिंग) – जब हम किसी भी सर्च इंजन पर अपने प्रोडक्ट या बिजनेस की एड चलाते है, उसे ही हम सर्च इंजन मार्केटिंग कहते है.
18.) SEO के दो पिल्लर क्या है ?
उत्तर.20) कीवर्ड्स और लिंक बिल्डिंग SEO के दो बहुत महत्वपूर्ण पिल्लर होते है. कीवर्ड्स की मदद से SEO को इम्प्रूव किया जा सकता है और लिंक बिल्डिंग आपके पेज के ट्रैफिक और रैंकिंग में मदद करता है.
डिजिटल मार्केटिंग में उपयोग किये जाने संक्षिप्त रूप
डिजिटल मार्केटिंग में ऐसे कई टर्म्स उपयोग किये जाते हैं जो कि संक्षिप्त रूप होते है अर्थात बड़ी जानकारी को छोटे भाग में रखना और उनका मतलब समझना काफी जरुरी है. नीचे हमने कुछ महत्वपूर्ण संक्षिप्त दिए है और उनकी डेफिनिशन भी बताई जो कि अक्सर इंटरव्यू में पूछे जाते है.
प्र.19) इन संक्षिप्त रूपों के पूरे नाम क्या होते है ?
उत्तर.21) A/B Testing – A/B testing को स्पिल्ट टेस्ट भी कहा जाता है और इस प्रोसेस से हम एक ही ऑब्जेकटिव के लिए दो अलग-अलग प्रकार से कैंपेन चला सकते है और तय कर सकते है कि कौनसा कैंपेन बेहतर रहा.
B2B (Business-to-Business) – जब तक एक बिजनेस दूसरे बिजनेस को अपना प्रोडक्ट सेल कराता है उसे हम B2B कंपनी कहते है. उदाहरण के लिए Salesforce और HubSpot प्रमुख रूप से B2B कंपनियां है.
B2C (Business-to-Consumer) – यह टर्म उन कंपनियों के लिए उपयोग किया जाता है जो अपने प्रोडक्ट को सीधे कस्टमर को सेल करते है. उदाहरण के लिए Amazon और Starbucks B2C कंपनियां है.
Call-to-Action (CTA) – Call-to-action अर्थात दबाने के लिए कहे जाने वाला एक टेक्स्ट लिंक, बटन, फोटो या वेब लिंक होता है जो कि एक विजिटर को लैंडिंग पेज तक लेकर जाता है. उदाहरण के लिए “subscribe now” या “request a quote today” call-to-action है.
CPC (Cost Per Click) – CPC जिसको हिंदी में क्लिक पर पैसे कह सकते है. यह सर्च इंजन मार्केटिंग से जुड़ा है. और इसे हम पैड एडवरटाईजिंग भी कह सकते है. किसी भी ऑनलाइन पैड एड्स के लिए क्लिक आते ही वो पैसे काट लेते है. इसे ही हम कॉस्ट पर क्लिक कहते है.
CPM (Cost Per Thousand) – CPM खरीदने या बेचने का यूनीट माना जाता है. सीपीएम (CPM) में एम को माइल्स कहा जाता है जिससे हर हजार इम्प्रेशन या व्यू के अनुसार काउंट किया जाता है. उदाहरण के लिए, अगर एक पब्लिशर आपके एड के लिए $2.00 CPM चार्ज करता है तो इसका मतलब आप उस एडवरटाईजर को उस एड के लिए $2.00 हर 1,000 इम्प्रेशन के लिए पैसे देते है.
CTR (Click-Through-Rate) – CTR का पूरा नाम Click Through Rate) होता है. CTR एक ऐसा माध्यम है जो यह बताता है कि कितने प्रतिशत लोग आपकी वेबसाईट पर आये और फिर आगे गए. यह आपके एडवरटाइजिंग कैंपेन के सक्सेस का आइडिया बताता है.
KPI (Key Performance Indicator) – KPI का पूरा नाम Key Performance Indicator होता है और यह एक प्रदर्शन को मापने का तरिका है जो कि यह बताता है कि किसी भी प्रोडक्ट की परफॉर्मेंस कैसी चल रही है और बिजनेस ऑब्जेक्टिव को हासिल किया जा रहा है या. मार्केटर KPI को अपने मार्केटिंग कैंपेन के सक्सेस को जानने का एक महत्वपूर्ण फैक्टर मानते है.
ROI (Return on Investment) – ROI को प्रतिशत में एक्सप्रेस किया जाता है और इससे किसी इन्वेस्टमेंट की कार्यक्षमता और लाभ का मूल्यांकन करने के लिए उपयोग किया जाता है.
ROI को कैलकुलेट करने का फ़ॉर्मूला है: (Gain from Investment – the Cost of Investment) divided by (Cost of Investment).
अगर कोई नकारात्मक या नेगेटिव है तो यह कहा जा सकता है कि कंपनी इन्वेस्टमेंट को लाभ में नहीं बदल पा रही है.
UX (User Experience) – उपभोगताओं का अनुभव ही User experience है. यह बताता है कि आपकी वेबसाईट आपके यूजर के लिए कितनी सही है. यूजर से अच्छा सम्बंध, पर्चेस, प्रोडक्ट या सर्विस ये सारे फैक्टर यूजर एक्सपेरिएंस के लिए मैटर करता है. एक अच्छा मार्केटर बनने के लिए आपको अपने यूजर के लिए अच्छा वेबसाईट बनाना चाहिए या उसमें ऐसा रखना चाहिए कि आपका कस्टमर उससे प्रभावित हो जाए.
तो यह थे कुछ सामान्य डिजिटल मार्केटिंग के इंटरव्यू के सवाल और उनके जवाब. हमारी पूरी कोशिश रही है कि हम अपना बेस्ट और ज्यादातर पूछे जाने वाले सारे प्रश्न आप तक बताये है और आगे भी हम इस आर्टिकल को अपडेट करते है रहेंगे ताकि आप किसी इंटरव्यू को आसानी से सफलता पा सके.
खंड-ग
डिजिटल मार्केटिंग इंटरव्यू के एडवांस लेवल के सवाल और जवाब
आपने यह तो जान लिया है कि डिजिटल मार्केटिंग के बेसिक लेवल के इंटरव्यू में क्या और किस तरह के सवाल-जवाब लिए जाते है. इस तरह अब आपको काफी कुछ पता चला है कि किस तरह से सवाल किये जाते है. इसके बाद अब बारी है एडवांस लेवल की और इस आर्टिकल में आपको इसी टॉपिक के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी. वहीं अगर आप पिछले आर्टिकल को देखना चाहते है तो यहाँ स्वागत है:- डिजिटल मार्केटिंग के इंटरव्यू में पूछे जाने वाले बेसिक लेवल
डिजिटल मार्केटिंग में एडवांस लेवल का महत्व
एडवांस लेवल की तैयारी में हम आपको बताएँगे कि ऐसे कौनसे सवाल हैं जो कि आपके डिजिटल मार्केटिंग के नॉलेज को और मजबूत करेंगे और आपके इंटरव्यू को पास करने के अवसर ज्यादा बढ़ जायेंगे.
तो आईये जाने कि इस आर्टिकल को पढ़ना क्यों जरुरी है और क्यों करें एडवांस लेवल के डिजिटल मार्केटिंग प्रश्नों की तैयारी
यह आर्टिकल आपको इंटरव्यू के लिए पूरी तरह से तैयार करने में मदद करेगा.
इससे आप एनालिसिस पर आधारित सवालों के बारे में जानेंगे.
आप इससे एडवांस लेवल के प्रश्नों के बारे में जानेंगे जिससे आपकी नॉलेज अच्छी होगी.
इस आर्टिकल में तकनिकी संबंधित प्रश्नों पर ज्यादा फोकस किया गया है.
डिजिटल मार्केटिंग इंटरव्यू के सवाल – एडवांस लेवल
तो आइये जानते है डिजिटल मार्केटिंग के एडवांस लेवल में पूछे जाने वाले सवाल और उनके दिए जा सकने वाले जवाबों के बारे में –
प्र.1) रिस्पोंसिव वेब डिजाइन क्या होता है ?
उत्तर) रिस्पोंसिव वेब डिज़ाइन एक नया माध्याम है वेबसाइट डिज़ाइन के लिए जो कि वेब पेज के परफोर्मेंस को बेहतर बनाता है ताकि उसे अच्छी वैरायटी मिले और साथ ही डेस्कटॉप मोबाइल और टेबलेट पर अच्छे यूजर एक्सपीरियंस के साथ दिखाया जा सके. इस प्रोसेस में हम कोशिश करते हैं कि मिक्स ऑफ़ फ्लेक्सिबल लेआउट्स, ग्रिड्स इमेज और सीएसस (स्केडिंग स्टाइल शीट्स) मीडिया क्वेरी की मदद से एक्सपीरियंस को बेहतर बनाया जा सके.
प्र.2) एएमपी के बारे में आप क्या जानते है ?
उत्तर) एएमपी (AMP) जिसका पूरा नाम (Accelerated Mobile Pages) होता है. यह एक गूगल की तरफ से ओपन सोर्स लाईब्रेरी है जो एक बेहतर तरीका देता है वेब पेज को जिससे वह आसानी से और कम समय में लोड हो जाए. इससे यूजर प्रभाव पड़ता है. AMP, पब्लिशर तथा मार्केटर के लिए मोबाइल में वेब पेज को फास्ट और कस्टमर के लिए अच्छा बनाने में काफी मददगार है.
प्र.3) वेबमास्टर टूल क्या होता है ?
A) वेबमास्टर टूल गूगल का एक फ्री टूल है इसके कुछ सामान्य फायदे जो ये है –
फ्री डाटा इंडेक्सिंग (Free data indexing) – डाटा इंडेक्सिंग से आप अपनी वेबसाईट और उससे जुड़ेडाटा को गूगल में इंडेक्स करवा सकते है, ताकि कोई जब आपके प्रोडक्ट से जुड़ी क्वेरी के बारे में सर्च करे तो परिणाम में आपकी वेबसाईट को दिखाएँ।
क्रॉल एरर (Crawl errors) – क्रॉल एरर से आप यह जान सकते है कि वो कौनसे URL है जो कि गूगल आइडेंटीफाई नहीं कर पा रहा है या जिसमें कुछ समस्या होती है।
सर्च क्वेरी (Search queries) – वेबमास्टर की मदद से आप यह भी जान सकते है कि लोग कौनसे कीवर्ड को ज्यादा सर्च करते है. फिर आप भी उन्हीं कीवर्ड पर फोकस कर सकते है.
बाहरी कड़ियाँ (Back-links information) – बैकलिंक जो आपकी वेबसाईट के SEO के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है. वेबमास्टर की मदद से आप नए लिंक के बारे में भी जान सकते है और उन्हें डाउनलोड भी कर सकते है।
वेबसाईट मालवेयर एरर (Website malware errors) – वेबमास्टर आपकी वेबसाइट की सिक्योरिटी का भी ध्यान रखता है. अगर कभी भी आपकी वेबसाइट पर किसी मैलवेयर का अटैक होता है तो वेबमास्टर आपको नोटिफिकेशन देता है ताकि आप उस अटैक से आप साइट को बचा सकें।
एक्सएमएल साईटमेप (XML sitemap) – वेबमास्टर की मदद से आप अपने वेबसाइट की साईटमैप को गूगल पर सबमिट कर सकते हैं. साईटमैप आपकी वेबसाइट का एक रोडमैप है जो गूगल को आपके वेबसाइट के महत्वपूर्ण पन्नों और टूल की जानकारी देता है।
प्र.4) स्पाइडर/क्रॉल क्या है ?
उत्तर) ज्यादातर सर्च इंजन आपके वेबसाइट को इंडेक्स करने के लिए स्पाइडर्स/क्रॉलर्स को उपयोग करते है. स्पाइडर तथा हाइपरलिंक को फ़ॉलो करते हैं और टेक्स्ट्युल और मेटा इन्फोर्मेशन को सर्च इंजन डेटाबेस के लिए कलेक्ट करते है।
प्र.5) क्रॉलर/स्पाइडर एक वेबसाईट से दूसरे वेबसाईट पर कैसे मूव करता है ?
उत्तर) क्रॉलर/स्पाइडर लिंक्स फ़ॉलो करते है जो कि उसे एक वेबसाईट से दूसरी वेबसाईट पर ले जाता है और इसी तरह वो आपकी उपयोगी जानकारी को ढूंढता है।
प्र.6) Robots.txt क्या है ?
उत्तर) Robots.txt एक टेक्स्ट फ़ाइल होता हैस जिससे सर्च इंजन क्रॉलर को निर्देश देने के लिए उपयोग किया जाता है. ये निर्देश इंडेक्सिंग और वेब कैचिंग, डोमेन, डाइरेक्टरी या वेबसाईट की किसी फ़ाइल के लिए दिया जाता है।
खंड-घ
एनालिसिस पर आधारित प्रश्न
खैर अब हम जानते ई कुछ एनालिसिस पर आधारित प्रश्न और उनके उत्तर –
प्र.7) “Bad links” किसे कहा जाता है ?
उत्तर) नीचे दिए गए सभी टाइप के लिंक को बैड लिंक कहा जाता है,
-किसी ब्लॉग से लिया गया स्पैम वाला लिंक.
-किसी नॉन-इंडेक्स वेबसाईट से आया हुआ लिंक.
-वो लिंक जिन्हें खरीदा गया हो.
-वो लिंक जो कि लो पेज रैंक वाली वेबसाईट से आये हो या जिनके ट्रैफिक लो हो.
-उन वेबसाईट से आये हुए लिंक जो कि आपकी वेबसाईट के लिए उपयुक्त नहीं हो.
-लिंक एक्सेंज से आये हुए लिंक
-वो कोई भी लिंक जिसे मैन्युअली ऑनलाइन लिंक डाइरेक्टरी से लिया गया हो.
प्र.8) क्या आप बेस्ट वेज़ बता सकते हैं जिससे वेबसाइट के लिए नेचुरल बैकलिंक ली जा सके ?
उत्तर) अगर आपकी वेबसाइट नई-नई है उस केस में फ़ास्ट और नेचुरल लिंक्स आने के मौके लगभग बहुत ही कम होते हैं. बहुत नेचुरल बैकलिंक लेने का एक कॉमन तरीका है जहाँ गेस्ट पोस्ट लिखी जाए. आप इसमें अपनी वेबसाईट से जुड़ी केटेगरी पर लिख कर कुछ बैकलिंक जरूर ला सकते है.
प्र.9 किसी पेज का पेज रैंक कैसे बढ़ाया जा सकता है ?
उत्तर) किसी भी पेज का पेज रैंक बैकलिंक्स बिल्डिंग से अच्छा किया जा सकता है. इसके अलावा SEO भी बहुत महत्वपूर्ण है आपके पेज की रैंकिंग के लिए.
प्र.10) महत्वपूर्ण क्या है: इंगेजमेंट रेट या फोलोअर्स तथा लेके ?
उत्तर) उच्च इंगेजमेंट रेट एक अच्छा संकेत है कि आपके फोलोअर्स आपके प्रोडक्ट में इंटरेस्ट रखते हैं. उच्च इंगेजमेंट मतलब यूजर आपके प्रोडक्ट को समझते हैं और आपके साथ ही जुड़े रहना चाहते हैं. जबकि फोलोअर्स/लाइक्स तभी काम आता है जब वो फोलोअर्स आपके साथ इंगेजमेंट बनाये रखें.
प्र.11) सोशल मीडिया टूल का इस्तेमाल कस्टमर सर्विस के लिए कैसे किया जा सकता है ?
उत्तर) सोशल मीडिया एक अच्छा माध्यम है फॉर कस्टमर सर्विस के लिए. सोशल मीडिया से आप अपने क्लाइंट के साथ डायरेक्ट कनेक्ट में रह सकते हैं. उनके रिस्पांस के लिए आप एनालिटिक्स का प्रयोग भी कर सकते हो. इसके अलावा आप इन्फ्लुएंसर्स से भी जुड़ सकते हैं.
प्र.12) आपके अनुसार PPC में कंवरसेशन रेट को ऑप्टिमाइज करने के लिए सबसे अच्छे एलिमेंट क्या है ?
उत्तर) यह कुछ एलिमेंट है जो कि पीपीसी में कंवरसेशन रेट की ऑप्टिमाइज में मदद करते है –
आपके विज्ञापन और लैंडिंग पेज के बीच रेलेवंस अच्छा होना चाहिए.
कम्पेलिंग कंटेंट बहुत ही महत्वपूर्ण है और आपकी वेबसाइट पर रिलेवेंट कीवर्ड्स का होना भी जरूरी है.
लैंडिंग पेज की डिज़ाइन को रिव्यु करें. एक अच्छा लैंडिंग पेज सही कलर कॉम्बिनेशन का, GUI (ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस) और लेआउट से मिलकर बनता है.
आपके वेब पेज रजिस्ट्रेशन प्रोसेस साधारण और सरल होना चाहिए. और इसके अलावा एक न्यूज़लेटर साइन अप का सेक्शन जरूर लगायें.
प्र.13) Bidding क्या होती है ? Bid किसपर निर्भर करता है ?
उत्तर) Bid (बिड) जिसका मतलब होता है कि आपने अपने कीवर्ड के लिए कितना रुपया सेट किया. बिड दो तरह की होती है – ऑटोमेटिंग और मैन्युअल.
ऑटोमेटिक बिडिंग – ऑटोमेटिक सर्विस का आप उपयोग कर रहे हैं तो अपना एड चलाओ, वो आपके कीवर्ड/कैंपेन पर आने वाले क्लिक के लिए ऑटोमेटिकली बिड पर निर्भर करता है और ये आपके क्वालिटी स्कोर पर भी निर्भर करता है. ऑटोमेटिक बिडिंग आपके एड के लिए अधिकतम क्लिक प्रोवाइड करता है. हालाँकि यह सब आपके पैसों पर निर्भर करता है.
मैन्युअल बिडिंग – मैन्युअल बिडिंग में आप खुद तय करते हैं कि बिडिंग अमाउंट कितना रखना चाहते हैं. आपकी बिडिंग अमाउंट ही तय करती है कि आपके एड की रीच और इम्प्रैशन कितनी होगी.
आपके एड इन कुछ चीजों पर निर्भर करती है –
क्वालिटी स्कोर – क्वालिटी स्कोर गूगल की एक स्ट्रेटजी है जो कि आपके कीवर्ड्स या पीपीसी एड की क्वालिटी और रिलेवंस की रेटिंग करता है. आपकी पीपीसी एड की क्वालिटी स्कोर का निर्णय करती है कि आपका सीपीसी (कॉस्ट पर क्लिक) कितनी होगी. कहा जाए तो क्वालिटी स्कोर और पीपीसी विपरीत आनुपातिक है, इसका मतलब है –
आपको बता दें कि जितना ज्यादा क्वालिटी स्कोर होगा उतना ही सीपीसी कम होगा.
सीटीआर – जिसका पूरा नाम क्लिक थ्रू रेट होता है, यह एक रेटियो है जिससे पता चलता है किन यूजर ने आपकी एड देखी और किसने क्लिक किया.
सीटीआर पता करने का तरीका क्या है – Clicks/Impressions = CTR
रेलेवंस कीवर्ड – इसका मतलब है आपका कीवर्ड आपके कंटेंट से कितनी एक्यूरेसी रखता है. साथ ही आपके सिलेक्टेड कीवर्ड को कंटेंट में कितनी बार यूज किया गया है.
लैंडिंग पेज क्वालिटी – लैंडिंग पेज वो पेज होता है जहाँ आपके यूजर लैंड करते हैं. आपके लैंडिंग पेज का लेआउट नेविगेशन कंटेंट और यूजर के एक्सपीरियंस के अनुसार अच्छा होना चाहिए और ये उस लैंडिंग पेज की क्वालिटी डिसाइड करता है.
प्र.14) किसी वेबसाईट के लोडिंग टाइम को कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर) वेबसाईट का लोडिंग समय इन कुछ चीजों पर निर्भर करता है.
पेज पर कितनी वीडियो और इमेज है.
इमेज ऑप्टिमाइज है या नहीं, मतलब जितनी भी फोटो है उसकी साइज क्या है और अच्छी है या बहुत बड़ी, इत्यादि.
HTTPs (Hypertext Transfer Protocol) की एकाधिक अनुरोधों को रिड्यूस किया जाना चाहिए.
Cache (data/files stored in your RAM) आपकी वेबसाईट की स्पीड रिड्यूस कर देता है. कैचे क्लियर करके रखना आपकी वेबसाईट स्पीड के लिए जरूरी है.
प्र.15) इन कोड का क्या मतलब है – 200/301/307/404/403/503?
उत्तर) इन कोड को HTTPs कोड कहा जाता है. यह कोड ब्राउजर द्वारा रिक्वेस्ट के स्टेट्स के बारे में बताता है.
200 (OK) – इस कोड का मतलब है कि रिक्वेस्ट का स्टेटस बिलकुल सही है और यह अच्छे से काम भी कर रहा है.
301 (Moved Permanently) – इसका मतलब है कि की गयी रिक्वेस्ट को उसकी सही लोकेशन से हमेशा के लिए दूसरी जगह मूव कर दिया गया है.
307 (Temporary Redirect) – इसका मतलब यह होता है कि किसी रिक्वेस्ट किये गए डॉक्यूमेंट को अस्थायी रूप से दूसरी जगह (रीडाइरेक्ट) कर दिया गया है.
404 (Not Found) – इसका मतलब यह है कि जब हम कोई लिंक पर क्लिक करते है और वो नहीं मिलता है गूगल यह बताता है कि आपने जो पूछा था वो नहीं मिला.
403 (Forbidden) – इसका मतलब है, कि ब्राउजर से की गयी रिक्वेस्ट से आपको एक्सेस नहीं मिल पाया.
503 (Service Unavailable) – इसका मतलब यह है कि सर्वर आपकी रिक्वेस्ट को समझ नहीं पा रहा है क्यूंकि या तो सर्वर बिजी है या सर्वर ओवरलोड की प्रॉब्लम हो गयी है. तो ये थे कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न जो की डिजिटल मार्केटिंग के इंटरव्यूज में पूछे जाते है. हमने अच्छी रिसर्च और डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट्स की सलाह से ये प्रश्न और उनके उत्तर दिए क्योंकि डिजिटल मार्केटिंग एक बहुत ही प्रोग्रेसिव फील्ड है
इसके अलावा अगर आप जानना चाहते हैं कि किसी भी इंटरव्यू की तैयारी कैसे की जाये तो यहाँ क्लिक करें और अपने आप को किसी भी इंटरव्यू में पास होने के लिए तैयार करें. अगर आपके डिजिटल मार्केटिंग से जुड़ा कोई सवाल है तो हमें यहाँ या फिर नीचे फेसबुक के बटन पर जाकर जरूर पूछ सकते है.
OOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOO
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें