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RSS के भगीरथ, लुप्त सरस्वती की खोज में इन दो स्वयंसेवकों का रहा बड़ा योगदान

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 RSS के भगीरथ, लुप्त सरस्वती की खोज में इन दो स्वयंसेवकों का रहा बड़ा योगदान सरस्वती का उदगम, उसका प्रवाह भारतीय जनमानस को आकर्षित करता रहा है. कुछ स्वयंसेवकों ने प्राचीन ग्रंथों में वर्णित पवित्र सरस्वती नदी की खोज में दिलचस्पी दिखाई. जिस सरस्वती को संगम में लुप्त बताया जाता रहा है, वो उसके प्रवाह का रास्ता जानना चाहते थे. इस काम में मोरेश्वर नीलकंठ पिंगले और दर्शन लाल जैन ने भगीरथ कोशिश की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्षों के इतिहास में हजारों ऐसे मेधावी प्रचारक व स्वयंसेवक संगठन जुड़े, जिनकी मेधा को बड़े अभियान नहीं मिलते तो शायद उनकी प्रतिभा के साथ अन्याय होता. ऐसे में सरसंघचालकों के पास हमेशा से ये जिम्मेदारी रही कि बड़े अभियानों, संकल्पों के लिए एकनाथ रानाडे जैसे मेधावी कर्मवीर ढूंढना और कभी कभी मेधावियों के लिए उतने बड़े संकल्प तय करना. कुछ स्वयंसेवक ऐसे भी जुड़े जो इतिहास व पुरातत्व के क्षेत्र में काम करना चाहते थे. उनको ये तो समझ आ गया था कि लगातार उनके इतिहास को तोड़मरोड़ के एजेंडे के तहत पढ़ाया गया है, लेकिन उनके प्राचानी ग्रंथों व शास्त्रों में कुछ और ही वर्णित है....

सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल जिन्होंने 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान अपने जलते टैंक से पाकिस्तान के 4 टैंक ध्वस्त किए

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 ये हैं सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल जिन्होंने 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान अपने जलते टैंक से पाकिस्तान के 4 टैंक ध्वस्त किए और 16 दिसंबर, 1971 को मात्र 21 साल की उम्र में  वीरगति को प्राप्त हुए।  1971 युद्ध में पाकिस्तान के 13 लांसर्स ने अटैक किया. 13 लांसर्स के पास अमेरिकी मेड 50 टन के पैटन टैंक थे. वहीं दूसरी तरफ 17 पूना हॉर्स के पास वर्ल्ड वॉर के जमाने के ब्रिटिश मेड सेंचुरियन टैंक थे.17 पूना हॉर्स की A और B दो स्वाड्रन थीं. लांसर्स ने B स्क्वाड्रन पर हमला किया तो उन्होंने A स्क्वाड्रन से मदद की गुहार की. A स्क्वाड्रन के टैंक मदद के लिए आगे बढ़े. इनमें से एक पर अरुण खेत्रपाल सवार थे. कई घंटे चली भीषण लड़ाई में B स्क्वाड्रन ने पाकिस्तान के 7 टैंक उड़ा दिए. अरुण खेत्रपाल के टैंक पर भी एक गोला लगा. जिससे उनके टैंक में आग लग गई . उनके सीनियर ने उन्हें टैंक छोड़ने का आदेश दिया. लेकिन अरुण तैयार नहीं हुए. उन्होंने रेडियो से सन्देश भेजा,  "No, Sir, I will not abandon my tank. My main gun is still working and I will get these bastards. यानी, “सर मैं टैंक नहीं छोडू...

RSS के इस स्वयंसेवक की खोज ने बना दिया उसे भारत का सबसे बड़ा पुरातत्वविद

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 RSS के इस स्वयंसेवक की खोज ने बना दिया उसे भारत का सबसे बड़ा पुरातत्वविद डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर ने गुमनामी में खोये भारत के समृद्ध अतीत को सामने लाकर भारतवासियों के मन में गौरव का भाव भरा. उन्होंने गुजरात क्षेत्र में लुप्त सरस्वती नदी के प्रवाह की दिशा का अन्वेषण कर यह सिद्ध किया कि यह भारतवर्ष में ही बहती थी, जिससे सिंधु सरस्वती सभ्यता को नया प्रमाण मिला. डॉ वाकणकर ने भीमबेटका की गुफाओं की खोज की थी. समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में करियर बनाने वाले लोगों ने, अलग-अलग रुचि रखने वाले लोगों ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के लिए अपने परिवार, व्यक्तिगत आकांक्षाओं को भुलाकर देश और समाज के लिए कई बड़े ऐतिहासिक काम किए. इनके जरिए 100 वर्ष की इस संघ यात्रा में वे मील के ऐसे पत्थर की तरह खुद को स्थापित कर गए कि उनको नजरअंदाज करना मुश्किल है. संघ के ऐसे ही एक स्वयंसेवक की पुरातत्व और इतिहास के क्षेत्र में की गई खोजें आज भारतीय इतिहास ही नहीं मानव इतिहास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. भीमबेटका गुफाएं ढूंढने वाले डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर आज उनकी गिनती भारत के महान पुरातत्वविदों में होती है. उन्हें ‘...

UGC का इतिहास हुआ खत्म, VBSA से शुरू होगी उच्च शिक्षा की नई कहानी

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 UGC का इतिहास खत्म होकर अब विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान (VBSA) बनेगा, जो देश की सभी उच्च शिक्षा संस्थाओं का एकीकृत नियामक होगा. UGC का इतिहास हुआ खत्म, VBSA से शुरू होगी उच्च शिक्षा की नई कहानी देश की उच्च शिक्षा में ऐतिहासिक बदलाव की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), जो 1953 में स्थापित हुआ था और 1956 में संसद के अधिनियम के तहत वैधानिक निकाय बना, अब इतिहास बनने जा रहा है. इसकी जगह विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान (VBSA) बनेगा, जो देश के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों का एकीकृत नियामक होगा. UGC की स्थापना 28 दिसंबर 1953 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने की थी. इसका उद्देश्य भारत में विश्वविद्यालय शिक्षा के मानक तय करना, उन्हें बनाए रखना और विश्वविद्यालयों को मान्यता देना था. वर्षों से UGC ने देश में उच्च शिक्षा की दिशा निर्धारित की और लाखों छात्रों के लिए शिक्षा की नींव रखी. अब होगा सब एक जगह सरकार ने उच्च शिक्षा के नियमन में एकीकरण लाने का निर्णय लिया है. इसके तहत यूजीसी, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और राष्ट...

बालचर भारती

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 "बालचर" का अर्थ है स्काउट या बालचर (scout)। यह एक ऐसा व्यक्ति होता है जो स्काउटिंग आंदोलन का सदस्य होता है। यह एक ऐसा आंदोलन है जिसका उद्देश्य बच्चों और युवाओं में उच्च नैतिकता और योग्यता विकसित करना है। बालचरों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, और उन्हें विभिन्न कौशल जैसे प्राथमिक उपचार, गांठ बांधना और पर्यावरण का सम्मान करना सिखाया जाता है।  ************************************ बालचरों के गुण ************************************ 1- दूसरों की सहायता करना 2- दूसरों पर विश्वास करना 3- सबके प्रति प्रेम भाव रखना 4- विनयी और दयालु होना 5- आज्ञाकारी होना 6- कठिनाइयों में भी हँसना 7- मितव्ययी (सादा जीवन व्यतीत करने वाला) होना 8- सच बोलना 9- जाति-पाति के भेदभाव न करना  अन्य ************************************ बालचरों का प्रशिक्षण ************************************ कौशल:-  उन्हें विभिन्न व्यावहारिक कौशल सिखाए जाते हैं, जैसे कि रसोई बनाना, व्यायाम, प्राथमिक उपचार, रस्सी बांटना और तैरना। कैंप:-  व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए...

एक संक्षिप्त जीवनी आरएसएस के चौथे सरसंघचालक (मुख्य संरक्षक) प्रोफेसर राजेंद्र सिंह, उर्फ 'रज्जू भैया'

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एक संक्षिप्त जीवनी आरएसएस के चौथे सरसंघचालक (मुख्य संरक्षक) प्रोफेसर राजेंद्र सिंह, जिन्हें 'रज्जू भैया' के नाम से जाना जाता है। 19 जुलाई 2003 को, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने अंग्रेजी दैनिक 'द पायनियर' में लिखा, “मुझे 14 जुलाई 2003 को राज्जू भैया के दुखद निधन की सूचना मिली। यह मेरे लिए आसान नहीं था। जिस सहजता और सरलता से उन्होंने एक शिक्षक, प्रचारक और आरएसएस सरसंघचालक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वाह किया और करोड़ों भारतीयों को लंबे समय तक प्रेरित किया, वह हमेशा याद रहेगा। एक व्यक्ति के रूप में, मेरी कई भावनात्मक यादें उनसे जुड़ी हैं। आज उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, अपने अनुभव जनता के साथ साझा करना मुझे उचित लगता है।” स्वामीजी ने इस श्रद्धांजलि में राज्जू भैया के लंबे और फलदायी जीवन का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है। प्रोफेसर राजेंद्र सिंह, जिन्हें लोकप्रिय रूप से राज्जू भैया कहा जाता था, का जन्म 29 जनवरी, 1922 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुआ था। उनके पिता बलबीर सिंह भारतीय इंजीनियरि...

झूठा मुकदमा करने वालों को सजा देने का कानून बने; रवि किशन ने संसद में उठाई बेगुनाहों की आवाज

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  झूठा मुकदमा करने वालों को सजा देने का कानून बने; रवि किशन ने संसद में उठाई बेगुनाहों की आवाज  साभार- लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली/ लखनऊ  भाजपा सांसद रवि किशन ने झूठे केस दायर करने वालों को सजा देने के लिए एक कानून बनाने की मांग की है। उन्होंने झूठे आरोपों को जांच में सही ठहराने वाले जांच अधिकारियों पर भी कार्रवाई को कानून के दायरे में लाने की बात की है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद रवि किशन ने झूठे मुकदमे करने वालों को सजा दिलाने के लिए कानून बनाने की मांग केंद्र सरकार से की है। लोकसभा में गुरुवार को शून्यकाल (जीरो आवर) के दौरान रवि किशन ने फर्जी केस के कारण निर्दोष लोगों की मानसिक, सामाजिक और आर्थिक परेशानियों की संक्षिप्त चर्चा करते हुए कहा कि कानून बनाकर झूठा केस करने वाले और उसके आरोपों को सही बताने वाले जांच अधिकारियों पर कार्रवाई का कानून बनाना चाहिए। बता दें कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 248 बरी होने पर निर्दोष आरोपी को झूठे आरोप लगाने वाले पर केस करने का अधिकार देता है, जिसमें 5 से 10 साल सजा हो सकती है। लेकिन वह नया केस प्राथमिकी, जांच, चार्जशी...

हमारे बाला साहब – On Sri Balasaheb Deoras by Sri Dattopant Thengadi

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  हमारे बाला साहब – On Sri Balasaheb Deoras by Sri Dattopant Thengadi हमारे बाला साहब – दत्तोपंत ठेंगड़ी प. पू. बालासाहब के साथ कई दशको तक घनिष्ठ संबंध रहा । ऐसे मेरे जैसे व्यक्ति के लिये आज के इस अवसर पर कुछ भी बोलना कितना कठिन है इसकी कल्पना आप कर सकते है । शायद यदि किसी को कल्पना न होगी तो अपनी भावनाओं के बारे में हमारे मान्यवर जगजीत सिंह जी ने जो बताया कि प्रगट करना बहुत कठिन हो जाता है । उसी का अनुभव मैं ले रहा हूँ । जैसा कहा गया कि खामोश गुप्तगूं है “आज बेजुबाँ है जबाँ मेरी” हम में से बहुत सारे लोगों की अवस्था इस समय एसी ही होगी, ऐसा में समझता हूँ । किन्तु एक कर्तव्य के नाते इस समय पर कुछ बोलना है इसी नाते बोलने का साहस कर रहा हूँ। यह मासिक स्मृति दिन मनाया जा रहा है । मा. सरकार्यवाह श्री. शेषाद्री जी के आदेश के अनुसार ‘सामाजिक समरसता’ दिन इस नाते इसको हम मना रहे है । बालासाहेब का पूरा जीवन हमारे सामने है । His life was an open book कई नेताओं का जीवन इतना open नही रहता । बालासाहब का जीवन open book जैसा जीवन रहा । जीवन के अंतिम चरण में विकलांग अवस्था के कारण उनको कितनी असुविधा...