9-9 घंटे जॉब, फाइलों की टेंशन...फिर भी बिना कोचिंग आईएएस बन गईं दमनप्रीत, बोलीं - 'UPSC टफ है लेकिन...'
पंजाब की बेटी और बिजनौर में जिला पंचायत राज अधिकारी के पद पर पोस्टेड दमनप्रीत अरोड़ा ने फुल टाइम जॉब की. जॉब के साथ-साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की. हिम्मत नहीं हारी और अब तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 103वीं रैंक हासिल की है. दमनप्रीत के संघर्ष की कहानी बेहद प्रेरणादायी है...
'UPSC बहुत टफ है लेकिन' दिन में जॉब और एक जिद, IAS अफसर बन गईं दमनप्रीत अरोड़ा
बिजनौर के जिला पंचायत राज अधिकारी पर पोस्टेड दमनप्रीत अरोड़ा ने यूपीएससी परीक्षा में 103वीं रैंक हासिल की है....
हाइलाइट्स
दमनप्रीत अरोड़ा ने UPSC में 103वीं रैंक हासिल की.
बिजनौर में डीपीआरओ पद पर पोस्टेड हैं दमनप्रीत.
तीसरे प्रयास में UPSC परीक्षा में सफलता पाई.
बिजनौर. उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर के जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) के पद पोस्टेड दमनप्रीत अरोड़ा ने संघ लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठित परीक्षा में 103वीं रैंक हासिल कर जिले का नाम रोशन किया है. सिलेक्शन की जानकारी मिलते ही जिला मुख्यालय के विकास भवन में खुशी की लहर दौड़ गई. ऑफिस में सहकर्मियों ने मिठाई खिलाकर दमनप्रीत को बधाई दी. गले मिलकर खुशी साझा की. चंडीगढ़ की मूल निवासी दमनप्रीत ने पंजाब यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है. 2024 के दिसंबर महीने में उन्हें बिजनौर में डीपीआरओ पद पर पोस्टिंग मिली थी.
प्रशासनिक अनुभव और सिविल सेवा की गहराई से समझ ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया. परिवार में उनकी माता एक गृहिणी हैं, जबकि पिता पंजाब सरकार में अधिकारी हैं. छोटा भाई एक निजी कंपनी में काम करता है. दमनप्रीत बताती हैं कि उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की शुरुआत 2017 से कॉलेज के दौरान ही कर दी थी. 2020 में पीसीएस में चयन होने के बाद भी उन्होंने अपने सपनों को नहीं छोड़ा. नौकरी के साथ पढ़ाई जारी रखी. यह उनका तीसरा प्रयास था जिसमें महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई. इससे पहले उन्होंने हरियाणा सिविल सेवा परीक्षा भी पास की थी, लेकिन यूपीएससी में चयन के लक्ष्य को लेकर उन्होंने वहां कार्यभार नहीं संभाला.
अपनी सफलता का श्रेय दमनप्रीत ने अपने माता-पिता, भाई और बिजनौर प्रशासन को दिया है. उन्होंने बताया कि जिले की डीएम और सीडीओ ने उन्हें पढ़ाई के लिए समय-समय पर सहयोग दिया. जब भी जरूरत पड़ी उन्होंने बिना किसी झिझक के छुट्टियां स्वीकृत कीं. दमनप्रीत की खास बात यह रही कि उन्होंने कोई कोचिंग संस्थान जॉइन नहीं किया, बल्कि पूरी तैयारी सेल्फ स्टडी से की. उन्होंने बताया कि वे सुबह जल्दी नहीं उठ पातीं, इसलिए दिन के समय को सही ढंग से प्लान कर पढ़ाई करती रहीं. उनका सपना भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का है. यह रैंक उन्हें उस लक्ष्य के बेहद करीब लेकर आई है. दमनप्रीत की यह सफलता उन युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है, जो सीमित संसाधनों और व्यस्तताओं केबावजूद कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं.
शुरू से ही आईएएस ही बनना चाहती थी : दमनप्रीतदमनप्रीत ने कहा, ‘मैं शुरू से ही आईएएस ही बनना चाहती थी. इस बार मेरा सपना साकार हुआ है. एग्जाम बहुत कठिन है, बहुत अनिश्चितता है, इसमें कुछ भी हो सकता है लेकिन हमें उम्मीद बनाए रखनी चाहिए. कभी हिम्मत नहीं हारना चाहिए. डीपीआरओ एक चैलेंजिग जॉब है. मैंने अपने समय का सही ढंग से उपयोग किया. महिलाओं का सशक्त होना बहुत जरूरी है.’
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