बस कंडक्टर की बेटी पहले बनी डॉक्टर, फिर आईएएस अफसर, टॉपर्स लिस्ट में छाया नाम
बस कंडक्टर की बेटी पहले बनी डॉक्टर, फिर आईएएस अफसर, टॉपर्स लिस्ट में छाया नाम
कई आईएएस, आईपीएस अफसरों ने सिविल सेवा में आने के लिए डॉक्टरी छोड़ दी है। आईएएस रेनू राज का नाम भी इसी लिस्ट में शामिल है। मिडिल क्लास फैमिली की डॉ. रेनू राज ने यूपीएससी परीक्षा के पहले ही प्रयास में दूसरी रैंक के साथ टॉपर्स लिस्ट में जगह बनाई थी।
डॉ रेनू राज ने एमबीबीएस के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी।
हाइलाइट्स
डॉ. रेनू राज ने पहले प्रयास में UPSC में दूसरी रैंक हासिल की।
डॉ. रेनू राज केरल सरकार के अनुसूचित जनजाति विकास विभाग की निदेशक हैं।
डॉ. रेनू राज ने पहले डॉक्टर बनकर सेवा की, फिर आईएएस अफसर बनीं।
2015 बैच की आईएएस अधिकारी डॉ. रेनू राज लाखों युवाओं की प्रेरणा हैं। सिविल सर्विस में 10 साल पूरे हो जाने के बाद भी वह यूपीएससी एस्पिरेंट्स के लिए किसी रोल मॉडल से कम नहीं हैं। गरीब परिवार की डॉ. रेनू राज ने पहले एमबीबीएस की डिग्री हासिल की, कुछ समय बतौर डॉक्टर काम किया और फिर यूपीएससी परीक्षा में सफल होकर आईएएस अफसर बन गईं. उन्होंने मेहनत के दम पर अपनी संघर्ष की कहानी को सफलता का नाम दिया।
बचपन से था पढ़ाई पर फोकस
डॉ. रेनू राज केरल के कोट्टायम जिले की रहने वाली हैं। उनका जन्म वहीं के एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी, लेकिन उनके माता-पिता ने उनकी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया। उनके पिता राजकुमारन नायर बस कंडक्टर के पद से रिटायर हुए हैं और मां लता एक होममेकर हैं. रेनू बचपन से ही मेधावी छात्रा थीं। वह डॉक्टर बनकर ज्यादा से ज्यादा लोगों की सेवा करनी चाहती थीं और इसीलिए उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई की.
बचपन से था पढ़ाई पर फोकस
डॉ. रेनू राज ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा केरल के कोट्टायम में स्थित सेंट टेरेसा हायर सेकेंडरी स्कूल से हासिल की है। स्कूली पढ़ाई खत्म होने के बाद उन्होंने कोट्टायम के ही गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (Government Medical College) से एमबीबीएस की डिग्री ली। इसके बाद वह हाउस सर्जन के तौर पर कोल्लम जिले के ASI हॉस्पिटल में प्रैक्टिस करने लगी थीं। डॉक्टर बनने के बाद साल 2013 में उन्होंने डॉक्टरी के साथ ही यूपीएससी परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर दी थी।
डॉक्टर से आईएएस तक का सफर
हॉस्पिटल में काम करते हुए रेनू राज ने गरीबी, हेल्थ फैसिलिटी की कमी और सामाजिक असमानता जैसे मुद्दों को करीब से देखा। एक दिन उनकी मुलाकात एक मरीज से हुई, जिसकी हालत देखकर उन्हें लगा कि सिर्फ इलाज से समाज की समस्याएं हल नहीं होंगी। उन्हें एहसास हुआ कि प्रशासनिक सेवा में जाकर ही वह बड़े पैमाने पर बदलाव ला सकती हैं। उन्होंने नौकरी के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की। उनकी मेहनत रंग लाई और 2014 में पहले ही प्रयास में दूसरी रैंक के साथ UPSC परीक्षा पास कर ली।
डॉ. रेनू राज की करेंट पोस्टिंग
आईएएस अफसर बनने के बाद रेनू राज ने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। उन्होंने हमेशा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए काम करने को प्राथमिकता दी। डॉ. रेनू राज केरल सरकार के अनुसूचित जनजाति विकास विभाग की निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। इसके साथ ही वह आदिवासी पुनर्वास और विकास मिशन (Tribal Resettlement and Development Mission) की विशेष अधिकारी भी हैं. इससे पहले वह वायनाड और एर्नाकुलम जिलों की कलेक्टर रह चुकी हैं।
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