अनिवार्यय सैनिक शिक्षा एवं सेवा
अनिवार्यय सैनिक शिक्षा एवं सेवा
आज हम सैनिक शिक्षा पर निबंध अर्थात वर्तमान समय में अनिवार्य सैनिक शिक्षा का महत्व एवं आवश्यकता पर बच्चों के लिए हिंदी निबंध बता रहे हैं।
कई दृष्टिकोण से समाज में स्वैच्छिक सैनिक शिक्षा महत्वपूर्ण हैं. हम यहाँ उत्तरी कोरिया और इजरायल इन दो देशों की बता करें, तो यहाँ के सभी नागरिकों को सैन्य प्रशिक्षण लेना अनिवार्य माना जाता हैं. 18 से 21 वर्ष की आयु तक के युवक युवतियों को बकायदा सेना में अपनी निशुल्क सेवाएं देनी होती हैं.
इस तरह के कठोर सैन्य प्रशिक्षण की न तो आवश्यकता है न हमारे देश में इसे ठीक परम्परा माना जाता हैं. मगर स्वैच्छिक रूप से सैनिक शिक्षा अर्जन की अभेच्चा रखने वाले नागरिकों को यह अवसर सुलभ कराया जाना चाहिए. इस तरह के प्रशिक्षित युवा देश की रिजर्व आर्मी की तरह बहुमूल्य सम्पदा बन जाते है राष्ट्रीय सुरक्षा की किसी अपाल स्थिति में इनका उपयोग राष्ट्र हित में किया जा सकता हैं.
प्रस्तावना- सैनिक शिक्षा का प्राचीन स्वरूप- वर्णाश्रम व्यवस्था भारतीय संस्कृति की उदात्त परम्परा थी. उनमें सामाजिक व्यवस्था जाति, वर्ण एवं कर्म के अनुसार थी. सैनिक शिक्षा केवल राजकुमारों तथा क्षत्रियों तक ही सीमित थी.
यही समझा जाता था कि देश की सुरक्षा का भार केवल उन्ही के कंधों पर हैं. सैनिक प्रशिक्षण के लिए सभी छोटे छोटे राज्यों में सैनिक शिक्षणआलय और आचार्य सुनिश्चित थे. प्रशिक्षण की अवधि भी सुनिश्चित होती थी. इस अवधि के पश्चात एक युवा सक्षम यौद्धा बन जाता था.
वर्तमान परिपेक्ष्य में सैनिक शिक्षा की आवश्यकता- वर्तमान आण्विक युग में व्यक्ति और राष्ट्र दोनों के लिए सैनिक शिक्षा अत्यावश्यक हैं. यहाँ इन दोनों दृष्टियों में प्रकाश डाला जा रहा हैं.
राष्ट्र- स्वतंत्र प्रभुसत्ता सम्पन्न राष्ट्र की दृष्टि से भारतवर्ष में सैनिक शिक्षा की अनिवार्यता आवश्यक हैं. यदि हम चाहते है कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त नगरों और ग्रामों में भी सैनिक प्रशिक्षण केंद्र खोल दिए जाए, जिससे कि भारत वर्ष के नवयुवक जरूरत पड़ने पर राष्ट्र की रक्षा के लिए प्रसन्नतापूर्वक स्थायी सेना को पूर्ण रूप से सहायता प्रदान कर सके और यदि आवश्यकता पड़े तो सहर्ष प्राणोंत्सर्ग कर सके.
व्यक्ति- व्यक्ति की दृष्टि से भी अनिवार्य सैनिक शिक्षा की योजना एक महत्वपूर्ण योजना हैं. स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता हैं. यदि देश के नागरिकों का स्वास्थ्य अच्छा होगा, तो वे देश के प्रति अपने उत्तरदायित्व का भली भाँती निर्वाह कर सकेगे. सैनिक शिक्षा से उनका शरीर पुष्ट और सशक्त होगा और अनुशासन जीवन का मूल मन्त्र बन जाएगा.
सैनिक शिक्षा का प्रचार- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने इस दिशा में विशेष ध्यान दिया हैं. स्कूलों, कॉलेजों और विश्व विद्यालयों में छात्रों को सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता हैं. उच्च माध्यमिक कक्षाओं के लिए एन सी सी तथा स्नातक स्तर कक्षाओं के लिए सीनियर एन सी सी के कोर्स सुनिश्चित कर दिए गये हैं.
परन्तु यह विषय अनिवार्य होना चाहिए, ताकि इससे सभी छात्र लाभान्वित हो सके. सम्पूर्ण राष्ट्र को शक्ति सम्पन्न बनाने के लिए यह आवश्यक होगा कि देश के प्रत्येक नगर और प्रत्येक ग्राम में सैनिक प्रशिक्षण केंद्र हो. जब देश का प्रत्येक वयस्क पुरुष बलिष्ठ सैनिक होगा, तो उससे राष्ट्र की रक्षा के लिए त्याग और बलिदान की भावना प्रखर बन जाएगी.
उपसंहार- राष्ट्र की आंतरिक और बाह्य आक्रमणों से रक्षा के साथ ही नागरिकों की व्यक्तिगत शारीरिक, मानसिक एवं नैतिक उन्नति के लिए सैनिक शिक्षा आवश्यक हैं. यह शिक्षा उद्यमी, परिश्रमी तथा स्वावलम्बी बनाने में भी उपयोगी रहती हैं. सीमाओं की सुरक्षा के साथ ही आतंकवादियों के दमन हेतु अनिवार्य सैनिक शिक्षा का प्रचार अपेक्षित हैं.
हमारा देश कई सैकड़ों साल तक पराधीनता की बेड़ियों में रहा. भारत को आजादी दिलाने के लिए 100 साल तक चले स्वतंत्रता संग्राम में न जाने कितने देशभक्तों ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी. तब जाकर हमें आजादी मिल पाई थी. आज एक स्वतंत्र देश के नागरिक होने के नाते हमारा पहला कर्तव्य देश की सीमाओं की रक्षा करना हैं. हमें हर पल देश की स्वतंत्रता तथा स्वायत्ता के लिए जागरूक रहना होगा, अन्यथा वो दिन कभी न देखना पड़े जब एक बार फिर भारत किसी की गुलामी की बेड़ियों में जकड़ जाए.
चूँकि क्षेत्रफल के लिहाज से हमारा देश बहुत विस्तृत हैं. कई सारे पड़ौसी देशों से हमारी सीमाएं मिलती हैं. कुछ अच्छे मित्र तो कुछ विशवास घात पड़ौसी भी हमारे चारो ओर हैं. चीन तथा पाकिस्तान का डीएन तो हम पहले से ही परख चुके हैं. वे एक दुश्मन देश की तरह आए दिन भारत में छेद लगाने की फिराक में रहते है कभी हमले की धमकी देते है तो कभी आतंकी भेजकर हमला कराते हैं.
भले ही आज के युग को परमाणु युग कहा जाता हो, मगर आज भी सैनिक शिक्षा के महत्व को कोई भी मुल्क दरकिनार नहीं कर सकता हैं. आपसी संघर्षों तथा अशांति के माहौल में देश की सीमाओं तथा आंतरिक सुरक्षा के लिए सैनिक शिक्षा जरुरी हैं.
यह भी संभव नहीं है कि देश की सीमाओं के हर कोने पर सिपाही को तैनात कर दिया जाए क्योंकि शांतिकाल में किसी भी देश के लिए बड़ी फौज रखना संभव नहीं हैं. अतः हमारे देश में ऐसी सेना की आवश्यकता हैं जो आवश्यकता पड़ने पर देश की रक्षा के लिए तैयार हो जाए, ऐसा स्कूलों में अनिवार्य सैनिक शिक्षा के माध्यम से ही संभव हो सकता हैं.
देशभर में सैनिक शिक्षा के कई स्वरूप हैं. कही स्काउट तथा कही एन सी सी के कैम्प आयोजित कर विद्यार्थियों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जाता हैं. इन कार्यक्रमों में छात्रों को अनुशासित जीवन तथा सैनिक के कठोर अभ्यास के दौर से तो निकाला जाता हैं मगर अस्त्र शस्त्र का प्रशिक्षण नहीं दिया जाता हैं. साथ ही उन्हें सैन्य गुप्तचर प्रणाली के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता हैं.
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