AUDITING व्यावसायिक आचार-नीति एवं आचरण-संहिता [PROFESSIONAL ETHICS AND CODE OF CONDUCT PART-2/2


 #################################

व्यावसायिक आचार-नीति एवं आचरण-संहिता

[PROFESSIONAL ETHICS AND CODE OF CONDUCT

PART-2/2

#################################

प्रथम अनुसूची (First Schedule)

भाग 1 (Part 1)—इस भाग में कार्यरत चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट्स के सम्बन्ध में व्यावसायिक दुराचरण का वर्णन किया गया है।


खण्ड 1 (Clause 1)

एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट व्यावसायिक दुराचरण का अपराधी माना जायेगा, “यदि वह किसी व्यक्ति को अपने नाम से चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट की भांति प्रैक्टिस करने की अनुमति देता है, जो कि न तो चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट है, न उसका साझेदार है और न उसके द्वारा नियुक्त किया गया है।”


इस खण्ड के अनुसार इन्स्टीट्यूट का कोई भी सदस्य किसी अयोग्य या गैर-सदस्य व्यक्ति को अपनी ओर से या अपने नाम में कार्य करने की अनुमति नहीं दे सकता है। हां, एक सदस्य को उसके स्थान पर कार्य करने की अनुमति मिल सकती है, यदि वह इन्स्टीट्यूट का सदस्य हो तथा उसका साझेदार हो। यदि किसी सदस्य का कर्मचारी (employee) उसके स्थान पर प्रत्यक्ष रूप से उसके नियन्त्रण एवं निरीक्षण में कार्य करता है, तो वह ऐसा कर सकता है।


इस खण्ड का उद्देश्य जनता की ऐसे अयोग्य व्यक्तियों से रक्षा करना है जो अपने आप में एकाउण्टेण्ट के रूप में उचित योग्यताओं के न होने पर भी कार्य करते रहते हैं। अयोग्य व्यक्ति चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट की सेवाएं जनता को नहीं दे सकते और न इन्स्टीट्यूट के गैर-सरकारी सदस्य ही यह कार्य कर सकते हैं। यह गारण्टी करना ही इस खण्ड का मूल उद्देश्य है।


खण्ड 2 (Clause 2)

एक चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट व्यावसायिक दुराचरण का अपराधी माना जायेगा, “यदि वह इन्स्टीट्यूट के किसी सदस्य, साझेदार, अवकाश प्राप्त साझेदार या मृत साझेदार के वैधानिक प्रतिनिधि के अतिरिक्त अन्य किसी व्यक्ति के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी फीस या अपने व्यावसायिक कार्य से प्राप्त लाभ में से कोई भाग, कमीशन या दलाली देता है या भुगतान करने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहमत होता है।”


इस खण्ड के प्रावधान के अन्तर्गत इन्स्टीट्यूट का कोई सदस्य किसी गैर-सदस्य की अपनी फीस या व्यावसायिक लाभ का कोई भाग नहीं दे सकता है लेकिन वह अपनी फीस, दलाली या कमीशन के किसी भाग को जो उसने अपने व्यावसायिक लाभ के रूप में प्राप्त किया है, अपने किसी साझेदार, अवकाश-प्राप्त साझेदार या मृत साझेदार के वैधानिक प्रतिनिधि को दे सकता है। यहां यह ध्यान देने योग्य बात है कि काउन्सिल की राय में अवकाश प्राप्त साझेदार या मृत साझेदार की विधवा को लाभ में से कोई भाग लेने की अनुमति नहीं होनी चाहिए, यदि साझेदारी संलेख में यह स्पष्ट रूप से नहीं दिया गया है।


Professional Ethics Code Conduct


खण्ड 3 (Clause 3)

एक चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट व्यावसायिक दुराचरण का दोषी होगा, “यदि वह किसी वकील, नीलामकर्ता. दलाल या अन्य एजेण्ट के व्यावसायिक कार्य से होने वाले लाभों के किसी भाग को स्वीकार कर लेता है अथवा स्वीकार करने के लिए सहमत हो जाता है।’


इसका आशय यह है कि कोई भी सदस्य किसी गैर-सदस्य के द्वारा कमाये गये फीस, दलाली या कमीशन में भाग नहीं ले सकता। इस प्रकार कोई सदस्य नियोक्ता या अंकेक्षक होने के नाते अपनी स्थिति का अवांछनीय लाभ नहीं उठा सकता है। यदि अंकेक्षक की सिफारिश या सलाह पर नियोक्ता किसी को वैधानिक सलाहकार या नीलामकर्ता नियुक्त कर लेता है, तो अंकेक्षक ऐसे व्यक्ति की फीस में से भागीदार नहीं हो सकता। एक सदस्य किसी गैर-सदस्य के साथ अपनी फीस को नहीं बांट सकता है, इसी प्रकार वह गैर-सदस्य द्वारा कमायी गयी फीस या कमीशन में भी भागीदार नहीं बन सकता है।


(के. वी. नरसिंहन के मामले में, 1952)


खण्ड 4 (Clause 4)

एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट व्यावसायिक दुराचरण का अपराधी माना जायेगा, “यदि वह किसी ऐसे व्यक्ति के साथ साझेदारी करता है जो एक कार्यरत चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट नहीं है या भारत के बाहर निवास करता है, परन्तु जो धारा 4(1) के खण्ड 5 के अन्तर्गत अन्यथा भारत में चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट के पंजीकरण के योग्य होता है या जिसकी योग्यताओं को केन्द्रीय सरकार या काउन्सिल, ऐसी साझेदारियों को अनुमति देने के उद्देश्य से मान्यता देती है, बशर्ते कि वह चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट भारत तथा भारत के बाहर अर्जित फीस या लाभों में से हिस्सा लेता है।”


इस खण्ड के अनुसार एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट किसी व्यक्ति को जो कार्यरत नहीं है, साझेदार के रूप में साथ ले सकता है, बशर्ते कि


(अ) वह भारत के बाहर निवासी है।


(ब) यदि वह भारत में रहता, तो इन्स्टीट्यूट के सदस्य के रूप में पंजीकृत होने के योग्य हो सकता था। (स) वह भारत तथा भारत के बाहर साझेदारी के लाभ तथा फीस में से हिस्सा लेता है।


सामान्यतया यह खण्ड कार्यरत चार्टर्ड एकाउण्टेण्टों को किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ साझेदारी में प्रवेश की अनुमति नहीं देता है जो इन्स्टीट्यूट के कार्यरत सदस्य नहीं हैं।


Professional Ethics Code Conduct


खण्ड 5 (Clause 5)

एक चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट व्यावसायिक दुराचरण का दोषी होगा, “यदि वह किसी ऐसे व्यक्ति के माध्यम से व्यापार प्राप्त करता है जो कि उसका साझेदार बनने के योग्य नहीं है, या ऐसे साधनों से व्यापार प्राप्त करता है जिनकी एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट को अनुमति नहीं है।” ।


इस खण्ड के अनुसार, किसी सदस्य को गैर-सदस्य के माध्यम से व्यापार प्राप्त करने की अनुमति नहीं। है। इस प्रकार यह दलाली पर प्रतिबन्ध लगाता है। अतः प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रचार करना प्रतिबन्धित है।


खण्ड 6 (Clause 6)

एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट ने कार्य प्राप्त करने की इच्छा से छपे हए कार्ड तथा परिपत्र (circulars) भेजे। इस मामले में यह निर्णय दिया गया कि वह इस खण्ड की परिभाषा के अन्तर्गत दोषी है।।


(गैडरी बनाम अम्बेकर, 1952)


एक अन्य मामले में एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट ने वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्रालय को यह लिखा कि उसकी फर्म के नाम को अंकेक्षकों की सूची में लिख लिया जाए। इस मामले में यह निर्णय दिया गया कि वह व्यावसायिक दुराचरण का दोषी था।


(के. सी. जे. सत्यवादी के मामले में, 1955)


एक चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट ने किसी सहकारी समिति के अध्यक्ष को प्रार्थना-पत्र भेजा कि उसको अंकेक्षक नियुक्त कर लिया जाए। इस मामले में निर्णय दिया गया कि यह व्यावसायिक दुराचरण का गम्भीर अपराध था।


(जी. के. जोगलेकर व डी. सी. जावलकर, 1957)


Professional Ethics Code Conduct


 खण्ड 7 (Clause 7)

एक कार्यरत चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट अपराधी घोषित हो सकता है, “यदि वह अपनी व्यावसायिक उपलब्धियों या सेवाओं का विज्ञापन करता है अथवा चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट के अतिरिक्त अन्य पद या योग्यता का व्यावसायिक प्रपत्रों, विजिटिंग कार्डो, चिट्ठियों के पत्र या बोर्ड, आदि पर प्रयोग करता है जबकि यह डिग्री भारत में अधिनियम द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय की न हो या केन्द्रीय सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त न हो अथवा ऐसा पद न हो जो चार्टर्ड एकाउण्टैण्टस की इन्स्टीट्यूट के द्वारा सदस्यता प्राप्त हो अथवा किसी अन्य संस्था का हो जो केन्द्रीय सरकार या काउन्सिल से मान्यता प्राप्त हो।”


इस खण्ड के अनुसार चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट को अपनी व्याक्सायिक उपलब्धि का विज्ञापन नहीं करना चाहिए और न किसी पद का प्रयोग करना चाहिए जब तक ऐसा करने के लिए इन्स्टीट्यूट की अनुमति प्राप्त न कर ली हो। इंग्लैण्ड की एकाउण्टैन्सी की इन्स्टीट्यूट से मान्य किसी पदवी, शब्दों, आदि का प्रयोग वह. कर सकता है यदि वे काउन्सिल या केन्द्रीय सरकार से मान्यता प्राप्त हों।


एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट ने अपने पद में ‘इनकॉरपोरेटेड एकाउण्टेण्ट’ लन्दन तथा ‘रजिस्टर्ड एकाउण्टैण्ट’ इण्डिया का प्रयोग चिट्टे में किया तथा बैंकिंग कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत निर्धारित प्रारूप में अंशधारियों को रिपोर्ट देने में भी असफल रहा।


यह निर्णय दिया गया कि चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट इस खण्ड के अनुसार दोषी था।


(एम. एम. हुसैन के मामले में, 1953)


अब काउन्सिल सदस्यों को गैर-अंकेक्षण (Non-audit) क्षेत्रों में निविदाओं (tenders) पर प्रत्युत्तर प्रस्तुत करने की अनुमति देती है, जहां उन्हें गैर-चार्टर्ड एकाउण्टैण्टों से प्रतिस्पर्धा करनी है तथा अंकेक्षण के लिए निविदाओं के मामले में भारत से बाहर के देशों के लिए अनुमति दे दी है, बशर्ते कि स्थानीय अधिनियमों से छूट दी गयी हो और फीस विदेशों में प्राप्त की गयी हो।


उसी प्रकार सदस्यों को अपनी पदवी ‘चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट’ बधाई-कार्डो, निमन्त्रणों जो विवाहों. धार्मिक उत्सवों तथा अन्य अवसरों जैसे सदस्यों के कार्यालयों के खोलने या उद्घाटन कार्यालय के स्थान परिवर्तन व टेलीफोन नम्बर में परिवर्तन के सम्बन्ध में भेजे गये हों, के प्रयोग पर अनुमति दी गयी है। बशर्ते कि ये बधाई-कार्ड या निमन्त्रण केवल नियोक्ताओं (clients), सम्बन्धियों (relatives) तथा सम्बन्धित सदस्य के निकट के मित्रों को भेजे गये हों।


Professional Ethics Code Conduct


खण्ड 8 (Clause 8)

__ एक कार्यरत चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट व्यावसायिक लापरवाही का दोषी होगा, “यदि वह पहले किसी अन्य चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट द्वारा अंकेक्षक के रूप में ग्रहण किये गये पद या प्रतिबन्धित राज्य अंकेक्षक (Restricted State Auditor) द्वारा छोड़े गये पद को उसको सन्देश दिये बिना स्वीकार कर लेता है।”


यह स्पष्ट है कि यदि कोई सीमित दायित्व वाली कम्पनी वर्तमान अंकेक्षक के स्थान पर अंकेक्षक नियुक्त करती है, तो उसको उस समय तक अपनी नियुक्ति स्वीकार नहीं करनी चाहिए जब तक वह अवकाश लेने। वाले अकेक्षंक स यह पता न कर ले कि उसके अवकाश लेने का कारण क्या है। वास्तव में यह खण्ट र अकेक्षक को यह जानकारी देता है कि उसकी नियक्ति क्यों की गयी ह तथा वतमान अकक्षकक हटाने का क्या कारण है। एक चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट सहकारी बैंक के अंकेक्षक के रूप में अपनी नियुक्ति के सम्बन्ध पिल अकक्षक को सन्देश नहीं दे पाया और उसका ऐसा करना किसी इराद के कारण नहीं था।


यह निर्णय दिया गया कि अंकेक्षक का यह नियम तोड़ना केवल तकनीकी आधार (technical) पर था।


(एस. वी. खखण्डीकर बनाम बोरकर, 1952)


खण्ड 9 (Clause 9)

एक कार्यरत चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट व्यावसायिक लापरवाही के लिए दोषी होगा, “यदि वह बिना यह निर्धारित किये हए कि कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा 224 व 225 का परिपालन किया गया है अथवा नहीं, किसी कम्पनी में अंकेक्षक का पद स्वीकार कर लेता है।”


इस खण्ड के अनसार कम्पनी के प्रत्येक अंकेक्षक को अपनी नियुक्ति के स्वीकार करने से पूर्व यह । निर्धारित कर लेना चाहिए कि धारा 224 व 225 का परिपालन पूर्णरूपेण कर लिया गया है। यदि एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट ऐसा नहीं करता है, तो उसे व्यावसायिक दुराचरण का दोषी माना जायेगा। कम्पनी अधिनियम की धारा 224 में प्रथम तथा आगे अंकेक्षक की नियुक्ति के सम्बन्ध में प्रावधान दिये गये हैं तथा धारा 225 में कम्पनी अंकेक्षक को हटाने के सम्बन्ध में व्याख्या सविस्तार दी गयी है। कम्पनी के अंकेक्षक को धारा 225 में वर्णित कुछ औपचारिकताओं के पूरे होने पर ही हटाया जा सकता है।


एक कम्पनी के संचालक मण्डल ने चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट को अंकेक्षक नियुक्त कर दिया था, क्योंकि यह कम्पनी अपनी साधारण सभा में अंकेक्षक की नियुक्ति करने में असफल रही। चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट ने कम्पनी के पिछले अंकेक्षक को नियुक्ति के सम्बन्ध में पत्र लिखा, परन्तु उत्तर आने से पहले उसी तिथि को अंकेक्षण-कार्य समाप्त कर दिया।


इस मामले में यह निर्णय दिया गया कि अंकेक्षक दोषी था, लेकिन यह पाया गया कि इस मामले में वैधानिक स्थिति के सम्बन्ध में कुछ गलतफहमी थी, अतः अंकेक्षक को चेतावनी दे दी गयी।


(यू. सी. मजूमदार बनाम जे. एन.सैका, 1954)


Professional Ethics Code Conduct


खण्ड 10 (Clause 10)

एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट (कार्यरत) व्यावसायिक दुराचरण का दोषी होगा, “यदि वह चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट अधिनियम में स्वीकत परिस्थितियों के अतिरिक्त अन्य किसी परिस्थिति में कोई व्यावसायिक सेवा (employment) फीस स्वीकार करता है या स्वीकार करने के लिए तैयार होता है जो कि लाभों के प्रतिशत के रूप में हो या जो ऐसे सेवा के परिणामों या निष्कर्षों (findings) पर आधारित हो।”


इस खण्ड के प्रावधानों के अन्तर्गत एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट लाभ के प्रतिशत के रूप में अथवा अपने कार्य के परिणाम के आधार पर अपना पारिश्रमिक नहीं ले सकता है। इस प्रकार चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट जो भी फीस लेता है, उसका सम्बन्ध किसी भी प्रकार उस चतुराई या बुद्धिमत्ता से नहीं है जो वह अपने कार्य में दिखलाता है। जो भी फीस वह लेता है, उस पर विचार किये बिना उसको अपना कर्तव्य यथोचित सावधानी तथा चतुराई से सम्पन्न करना चाहिए।


इसके होते हुए भी भारत की चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट्स इन्स्टीट्यूट की काउन्सिल ने इस खण्ड के प्रावधानों में निम्न प्रकार ढील दे दी है :


(अ) परिसमापक अधिकारी (Liquidator) के रूप में उसकी सेवाओं के लिए,


(ब) प्राप्तकर्ता (Receiver) या मूल्यांकक (Valuer) के रूप में सेवाओं के लिए,


(स) सहकारी समिति के अंकेक्षक के रूप में सेवाओं के लिए।


अतः उपरोक्त मामलों में चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट की सेवाओं के परिणामों के आधार पर फीस स्वीकार करने। की अनुमति दे दी है।


जहां किसी चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट ने सम्भाव्य लाभ (expected relief) के कुछ प्रतिशत के रूप में फीस। ले ली हो, तो इसमें यह निर्णय दिया गया कि वह अपराधी था।


(आर. बी. बसु बनाम पी. के. मुखर्जी, 1956)


Professional Ethics Code Conduct


खण्ड 11 (Clause 11)

एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट व्यावसायिक दुराचरण का अपराधी होगा, “यदि वह काउन्सिल की अनुमति के बिना चार्टर्ड एकाउण्टेन्सी के व्यवसाय के अतिरिक्त अन्य कोई व्यवसाय करता है, परन्तु एक चार्टर्ड। एकाउण्टैण्ट को कम्पनी के संचालक पद की नियुक्ति स्वीकार करने से नहीं रोका जा सकता यदि वह या उसका कोई साझेदार कम्पनी के रूप में रुचि नहीं रखता।” ।


इस प्रकार चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट चार्टर्ड एकाउण्टेन्सी के व्यवसाय के अतिरिक्त कोई अन्य व्यवसाय या व्यापार नहीं कर सकता है। यह नियम व्यवसाय के सम्मान को बनाने में सहायक होता है।


यहां यह ध्यान देने योग्य है कि सी. ए. विनियमों (Regulations), 1964 के विनियम 166 के अन्तर्गत कार्यों के क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है जिनमें कार्यरत चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट स्वयं को लगा सकता है। इस विनियम के अन्तर्गत काउन्सिल ऑफ चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट्स ऑफ इण्डिया ने दो प्रस्ताव (1) सामान्य प्रस्ताव, व (ii) विशिष्ट प्रस्ताव पास किये हैं। सामान्य प्रस्ताव में वर्णित कार्यों को करने के लिए चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट को काउन्सिल से किसी पूर्व अनुमति के लेने की आवश्यकता नहीं है, परन्तु विशिष्ट प्रस्ताव में वर्णित क्षेत्रों के कार्यों में संलग्न रहने के लिए काउन्सिल की पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है।


Professional Ethics Code Conduct


ppppppppppppppppppppppppppppp


(i) सामान्य प्रस्ताव

(1) किसी चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट या चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट्स की फर्म के साथ कार्य करना।


(2) निजी रूप से ट्यूटर का कार्य करना।


(3) पुस्तकें लिखना।


(4) सीमित उद्देश्यों के लिए नवीनीकरण कमीशन प्राप्त करने के उद्देश्य से जीवन बीमा एजेन्सी लाइसेन्स रखना।


(5) नोटरी पब्लिक (Notary Public) के रूप में कार्य करना।


(6) इन्स्टीट्यूट के कोचिंग बोर्ड या संगठन में अंशकालीन रूप से पढ़ाना।


(7) कक्षाओं में जाना तथा कोई भी परीक्षा देना, यह परीक्षा शैक्षिक या एकाउण्टैन्सी या किन्हीं अन्य पेशों से सम्बन्धित हो सकती है।


Professional Ethics Code Conduct


(ii) विशिष्ट प्रस्ताव

(1) बैंक, बीमा कम्पनियों, कारखानों और अन्य फर्मों या व्यावसायिक संस्थाओं में पूर्णकालीन या अल्पकालीन नौकरी करना।


(2) सरकारी या अर्ध-सरकारी विभागों, क्लबों, समितियों, आदि में पूर्णकालीन या अल्पकालीन नौकरी करना।


(3) परिवार के व्यवसाय तथा अन्य संस्थाओं से सम्बन्ध रखना बशर्ते कि वह संस्था के प्रबन्ध में कोई सक्रिय भाग नहीं लेता है।


(4) इन्स्टीट्यूट की परीक्षाओं के अतिरिक्त इन्स्टीट्यूट या क्षेत्रीय काउन्सिलों के तत्वावधान में चलाये गये पाठ्यक्रमों में पूर्णकालीन या अल्पकालीन प्रवक्ता बनना।


(5) इन्स्टीट्यूट के कोचिंग बोर्ड या कोचिंग संगठन के अतिरिक्त किसी अन्य शैक्षणिक संस्था में पूर्णकालीन या अंशकालीन ट्यूटर (tuitor) का कार्य करना।


(6) व्यावसायिक पत्रिकाओं का सम्पादक बनना।


(7) संसद, विधानसभा, आदि के सदस्य की भांति अंशकालीन सार्वजनिक पद पर रहना।


(8) किसी शिक्षा संस्था का स्वामित्व रखना।


Professional Ethics Code Conduct


खण्ड 12 (Clause 12)

एक चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट व्यावसायिक दुराचरण का दोषी होगा. “यदि वह अंकेक्षक के रूप में शुल्क कम करने की स्थिति में ऐसा पद स्वीकार करता है जो कि पहले किसी चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट या प्रार राज्य अंकेक्षक (Restricted State Auditor) के अधिकार में था।”


इस खण्ड का प्रमुख उद्देश्य चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट्स में प्रतिस्पर्धा को रोकना है। इसकी व्यवस्था के अन्तर्गत कोई भी सदस्य कम शुल्क स्वीकार करके कोई पद ग्रहण करने के लिए प्रतिबन्ध लगाता है। ऐसा करने से चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट्स के व्यवसाय के प्रति सम्मान (dignity) में वृद्धि होगी।


खण्ड 13 (Clause 13)

एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट जो कार्यरत है व्यावसायिक दुराचरण का दोषी होगा, “यदि वह किसी ऐसे। व्यक्ति को अपनी ओर से चिट्टे, लाभ-हानि खाता. रिपोर्ट या वित्तीय विवरण पर हस्ताक्षर करने की अनमति देता है जो न तो इन्स्टीट्यूट का सदस्य है और न उसका साझेदार।”


नियमानुसार एक अंकेक्षक की नियक्ति उसकी योग्यता तथा कुशलता के आधार पर की जाती है। अतः उसको ही खातों की जांच करने के उपरान्त उन पर हस्ताक्षर करने चाहिए। यदि अंकेक्षकों की फर्म में नियक्ति खातों के अंकेक्षण करने के लिए की गयी है, तो ऐसी स्थिति में फर्म के उसी साझेदार को हस्ताक्षर करने चाहिए जिसने खातों का अंकेक्षण किया है। स्पष्ट बात यह है कि जिसने खातों की जांच की हो, उसको दी। खातों पर हस्ताक्षर करने चाहिए। यह ही इस खण्ड का प्रावधान है।


भाग 2 (Part 2)

भाग 2 उन कार्यों तथा भूलों की ओर संकेत करता है, जो सदस्यों के विरुद्ध कार्यवाही को जन्म देते हैं जो कार्यरत नहीं हैं अर्थात् वे सदस्य जो कि किसी व्यक्ति, फर्म या कम्पनी में कर्मचारी हैं।


इन्स्टीट्यूट का सदस्य (कार्यरत सदस्य के अतिरिक्त) व्यावसायिक लापरवाही का दोषी होगा. यदि वह किसी व्यक्ति, फर्म या कम्पनी में कर्मचारी होकर :


खण्ड 1 (Clause 1)

“प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी व्यक्ति को अपने द्वारा लिये गये रोजगार के पारिश्रमिक में भुगतान करता है, या स्वीकृति देता है या भुगतान करने के लिए सहमत होता है।”


यह खण्ड एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट को अपनी फीस में से किसी अन्य व्यक्ति को हिस्सा देने से प्रतिबन्धित करता है।


खण्ड 2 (Clause 2)

एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट व्यावसायिक दुराचरण का दोषी होगा, “यदि वह कम्पनी, फर्म या व्यक्ति या कम्पनी के ग्राहक या एजेण्ट के किसी वकील, चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट या दलाल से कमीशन या कृतज्ञता (Gratification) के रूप में फीस, लाभ या आय के किसी भाग को स्वीकार करता है या स्वीकार करने की सहमति देता है।”


यह खण्ड इन्स्टीट्यूट के किसी सदस्य को चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट, वकील, दलाल, आदि से कमीशन या पारिश्रमिक के रूप में किसी भाग के स्वीकार करने या स्वीकार करने के लिए सहमत होने से प्रतिबन्धित करता है।


खण्ड 3 (Clause 3)

एक सेवारत चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट व्यावसायिक दुराचरण का अपराधी होगा. “यदि वह कानून द्वारा मागे। जाने या नियोक्ता द्वारा अनुमति देने के सिवाय अन्य किसी दशा में अपनी नियुक्ति के अन्तर्गत गुप्त सूचनाएं (Confidential Informations) किसी अन्य व्यक्ति को दे देता है।”


यह खण्ड इन्स्टीट्यूट के कार्य में लगे सदस्य को गप्त सूचना देने पर प्रतिबन्ध लगा देता है।


भाग 3 (Part 3)

भाग 3 में सामान्य रूप से इन्स्टीट्यूट के सदस्यों के व्यावसायिक दराचरण के सम्बन्ध में प्रावधान किया। गया है।


खण्ड 1 (Clause 1)

इन्स्टीट्यूट का कोई सदस्य चाहे कार्यरत हो या नहीं व्यावसायिक दराचरण का दोषी होगा, “यादव किसी कथन (Statement), विवरण या फॉर्म में जो काउन्सिल के सामने प्रस्तत किया जाना है, जान-बूझकर। असत्य कथन देता है।”


इस प्रकार इस द्वारा सदस्य पर जान-बूझकर असत्य बयान देने की पाबन्दी है। वह काउन्सिल के सामने असत्य कथन प्रस्तुत नहीं कर सकता है।


खण्ड 2 (Clause 2)

एक सदस्य कार्यरत हो या नहीं, व्यावसायिक दराचरण का दोषी होगा, “यदि वह इन्स्टीटयूट का फेला न होने पर भी स्वयं को इन्स्टीट्यूट का फैलो बताता है।”


यह खण्ड ऐसे सदस्य पर प्रतिबन्ध लगाता है जो EC.A. न होने पर भी अपने नाम के आगे इस पद। का प्रयोग करता है।


खण्ड 3 (Clause 3)

इन्स्टीट्यूट का सदस्य जो कार्यरत हो या नहीं व्यावसायिक दराचरण का दोषी होगा, “यदि वह काउन्सिल या काउन्सिल की किसी कमेटी के द्वारा इच्छित सूचना प्रदान नहीं करता है या उसके द्वारा दिये आदेश की पूर्ति नहीं करता है।”


यह स्पष्ट है कि इन्स्टीट्यूट के प्रत्येक सदस्य को काउन्सिल या उसकी किसी भी कमेटी को वांछित सूचना देनी होगी।


Professional Ethics Code Conduct


द्वितीय अनुसूची (Second Schedule)

द्वितीय अनुसूची में दो भाग हैं—भाग 1 व भाग 2। इस अनुसूची के प्रथम भाग में 10 खण्ड हैं जबकि द्वितीय भाग में 2 खण्ड हैं। यह द्वितीय अनुसूची इन्स्टीट्यूट के सदस्यों के सम्बन्ध में व्यावसायिक दुराचरण की बातों की ओर संकेत करती है चाहे ये सदस्य कार्यरत हों या सामान्य सदस्य हों, जो यदि ये नियमों को तोड़ते हैं तो उनके विरुद्ध कार्यवाही की जा सकती है जिसका निर्णय उच्च न्यायालय देता है। जब कभी किसी सदस्य के विरुद्ध इन्स्टीट्यूट के पास शिकायत आती है, तो इन्स्टीट्यूट इसकी जांच करती है और अपने निष्कर्षों (findings) को निर्णय के लिए उच्च न्यायालय के पास भेज देती है।


भाग 1 (Part 1)

इस भाग में कार्यरत सदस्यों के दुराचरण के मामलों से सम्बन्धित विवरण दिये हैं जिनका निर्णय उच्च न्यायालय को करना है।


खण्ड 1 (Clause 1)

एक चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट जो कार्यरत है, व्यावसायिक दुराचरण का दोषी होगा, “यदि वह व्यावसायिक कार्य के दौरान नियोक्ता के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को नियोक्ता की अनुमति के बिना या प्रचलित कानून की परिधि के अतिरिक्त प्राप्त सूचना प्रदान करता है।


यह खण्ड स्पष्ट करता है कि कोई भी अंकेक्षक अपने व्यावसायिक कार्य के दौरान अपने नियोक्ता से प्राप्त किसी विश्वस्त व गुप्त सूचना को प्रकट नहीं करेगा। यह नियोक्ता व अंकेक्षक दोनों के हित में है। यदि कोई अंकेक्षक ऐसी संस्थाओं का अंकेक्षण कर रहा हो जो एक-दूसरे की प्रतिद्वन्द्वी संस्था हो तो यह बात विश्वास व व्यावसायिक सम्मान के विपरीत होगी कि वह एक संस्था की गोपनीय व गुप्त बातें दूसरी संस्था को सूचित कर दे।


खण्ड  2 (Clause 2)

एक चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट व्यावसायिक दुराचरण का दोषी ठहराया जा सकता है, “यदि वह वित्तीय विवरण-पत्रों की जांच के लिए अपने या अपनी फर्म के नाम से रिपोर्ट प्रस्तुत करता है या प्रमाणित करता है जबकि खातों या उनसे सम्बन्धित प्रपत्रों की न तो स्वयं उसने जांच की है और न ही उसके किसी साझेदार ने उसकी फर्म में कर्मचारी के रूप में अथवा अन्य कार्यरत चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट ने जांच की है।” ।


इस खण्ड का उद्देश्य यह है कि एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट को केवल उन्हीं खातों व पत्रों पर रिपोर्ट देनी चाहिए जिनकी उसने जांच की हो या जिनकी जांच उसके किसी साझेदार कर्मचारी या अन्य चार्टर्ड एकाउण्टण्ट। न की हो। इस प्रकार यह खण्ड यह विश्वास दिलाता है कि अंकेक्षण एक योग्यता पान व्यक्ति ने ही किया हो।


खण्ड 3 (Clause 3)

_ एक चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट जो कार्यरत है. व्यावसायिक दुराचरण का अपराधी होगा, “याद वह किन्हा संदिग्ध लेन-देनों की आय के अनुमान के सम्बन्ध में अपने अथवा अपनी फर्म के नाम के प्रयोग की अनुमति दता ह जिसस यह विश्वास उत्पन्न होता है कि उसने भावी अनमान की सत्यता को प्रमाणित किया है।”


यह खण्ड व्यापार का आय के अनमान लगाने में किसी सदस्य के असफल होने से उत्पन्न व्यावसायिक लापरवाही से सम्बन्ध रखता है। सम्भाव्य आय की सत्यता के प्रमाणित करने से यह खण्ड इन्स्टीट्यूट के सदस्य को प्रतिबन्धित करता है। इस प्रकार अंकेक्षक अनिश्चितता (uncertainty) की सत्यता (accuracy) को प्रमाणित नहीं कर सकता है।


खण्ड 4 (Clause 4)

एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट जो कार्यरत है व्यावसायिक दुराचरण का दोषी होगा, “यदि वह किसी ऐसी व्यापार के वित्तीय विवरणों के विषय में अपने विचार प्रकट करता है या रिपोर्ट प्रस्तुत करता है जिसमें उसका, उसकी फर्म का या फर्म के किसी साझेदार का हित है तथा रिपोर्ट में यह तथ्य स्पष्ट नहीं करता कि उसका व्यापार में उक्त प्रकार का हित है।’


इस खण्ड से यह स्पष्ट है कि किसी चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट को किसी व्यापार के वित्तीय विवरण के सम्बन्ध में अपने विचार प्रकट नहीं करने चाहिए जिसमें उसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हित हो। यदि वह मत करता भी है, तो अपनी रिपोर्ट में यह बात भी स्पष्ट कर देनी चाहिए कि अमुक व्यापार में उसका हित है। यह नियम इस बात का विश्वास दिलाता है कि चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट की स्वतन्त्र राय मिलेगी। एक चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट को सन्देह या शंका को कोई स्थान नहीं देना चाहिए।


खण्ड 5 (Clause 5)

एक कार्यरत चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट व्यावसायिक दुराचरण का दोषी होगा, “यदि वह किसी ऐसे तथ्य को व्यक्त करने में असफल रहता है जिसकी उसको जानकारी है, पर जो वित्तीय विवरण में व्यक्त नहीं होता है, लेकिन जिसकी अभिव्यक्ति वित्तीय विवरण गुमराह न करने वाला (misleading) बनाने के लिए आवश्यक थी।”


यह खण्ड स्पष्ट करता है कि चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट को अपनी रिपोर्ट में किसी भी ऐसे महत्वपूर्ण तथ्य को दिखाना चाहिए जो उसकी जानकारी में है, लेकिन जो वित्तीय विवरण में नहीं दिया गया है। जनता के हितों के संरक्षण के लिए ऐसा प्रकटीकरण आवश्यक है।


Professional Ethics Code Conduct


ऐसे कुछ उदाहरण निम्न हैं : (i) सम्बन्धित पक्षों की जानकारी के बिना भविष्य निधि की राशि का उपयोग।


(ii) ऋणपत्र प्रन्यास संलेख (Debenture Trust Deed) से वांछित शोधन कोष (Sinking Fund) का न बनाना।


(iii) लेखाकर्म सिद्धान्त की विधि को जो पहले से प्रयोग में ली जा रही है, त्यागना।


यदि चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट उपर्युक्त तथ्यों को अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं करता है, तो उसको व्यावसायिक दुराचरण का अपराधी माना जायेगा।


खण्ड 6 (Clause 6)

एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट व्यावसायिक दुराचरण का दोषी होगा. “यदि वह किसी ऐसे महत्वपूर्ण असत्य कथन के सम्बन्ध में रिपोर्ट देने में असफल रहता है जो कि वित्तीय विवरणों में विद्यमान है और जिसमें उसका व्यावसायिक हैसियत से सम्बन्ध है।”


एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट को अपनी रिपोर्ट में वित्तीय विवरण के प्रत्येक मिथ्या कथन को प्रकट कर। देना चाहिए। यह खण्ड पिछले खण्ड 5 का विस्तार मात्र है।


यदि अंकेक्षक को अपने व्यावसायिक कर्तव्यों के अनुरूप वित्तीय विवरणों में कोई महत्वपूर्ण मिथ्या। कथन मिलता है, तो उसे इस तथ्य का उल्लेख अपनी रिपोर्ट में करना चाहिए।


(रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज बनाम एस. एस. अय्यर, 1960)


‘महत्वपूर्ण मिथ्या कथन’ क्या है यह उपर्युक्त दोनों खण्डों में वर्णित अंकेक्षक के निर्णय पर आधारित होगा।


खण्ड 7(Clause 7)

एक चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट, जो कार्यरत है, व्यावसायिक दराचरण का अपराधी है, “यदि वह अपने यावसायिक कर्तव्यों के पूरा करने में पर्याप्त रूप से लापरवाह है।”


यह खण्ड अंकेक्षक की असफलता यथोचित चतराई तथा सावधानी के प्रयोग करने में दिखलाता है। पर्याप्त रूप से लापरवाही का आशय अत्यधिक लापरवाही है। यथोचित चतराई व सावधानी क्या है, यह प्रत्येक मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करता है।


डाबर एण्ड सन्स लि. बनाम कृष्णास्वामी, 1952 के मामले में स्पष्ट निर्णय था कि यदि एक व्यक्ति ने थोडी-सी सावधानी बरती होती तो वह तथ्यों का पता लगा सकता था।


यदि अंकेक्षक अंकेक्षण कार्य पूरा नहीं करता और समय पर अंकेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करता जिससे कि नियोक्ता वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा कर सके तो इस खण्ड के अन्तर्गत वह व्यावसायिक दुराचरण का दोषी है।


(लक्ष्मीनारायण सक्सैना के मामले में)


खण्ड 8 (Clause 8)

एक कार्यरत चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट व्यावसायिक दुराचरण का दोषी है, “यदि वह विचार व्यक्त करने के लिए सूचनाएं प्राप्त नहीं करता या ऐसी महत्वपूर्ण सूचनाओं को छोड़ देता है जो विचार अभिव्यक्ति के लिए आवश्यक है।”


एक अंकेक्षक को अपने अंकेक्षण कार्य के लिए सभी आवश्यक सूचना तथा स्पष्टीकरण संस्था से मांग लेने चाहिए। यदि वह प्राप्त नहीं कर पाता अथवा प्रबन्ध की ओर से नहीं दिये जाते, तो उसे अपनी राय संस्था के वित्तीय विवरण की सत्यता के सम्बन्ध में स्पष्ट रूप से प्रकट कर देनी चाहिए।


खण्ड 9 (Clause 9)

एक कार्यरत चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट व्यावसायिक दुराचरण का दोषी होगा, “यदि वह परिस्थिति-विशेष में लागू होने वाली सामान्य स्वीकृत अंकेक्षण विधियों की ओर ध्यान आकर्षित करने में असमर्थ होता है।”


एक चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट से अंकेक्षण की सामान्य विधियों के अनुकरण करने की आशा की जाती है। यदि वह इनसे विपरीत चलता है, तो इस तथ्य को उसे अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर देना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो वह व्यावसायिक दुराचरण का दोषी होगा।


(ऑडिट ब्यूरो ऑफ कैलक्यूलेशन लि. बनाम कैलाशीलाल अग्रवाल इलाहाबाद, 1967)


Professional Ethics Code Conduct


खण्ड 10 (Clause 10)

एक कार्यरत चार्टर्ड एकाउण्टैण्ट व्यावसायिक दुराचरण का दोषी है, “यदि वह नियोक्ता की धनराशि को एक पृथक् बैंक खाते में रखने तथा उसे उसी प्रयोग में लाने में जिसके लिए वह इच्छित है, असफल रहता है।”


यह खण्ड स्वयं में स्पष्ट है। एक अंकेक्षक को नियोक्ता की धनराशि का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। यदि वह अन्यथा आचरण करता है, तो वह विश्वासघात माना जायेगा और अंकेक्षक व्यावसायिक दुराचरण का दोषी होगा।


(नेशनल इन्श्योरेन्स कं. लि. बनाम बी. मुकर्जी, 1957)


इस प्रकार उसको नियोक्ता क?

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

RESEARCH TOPICS IN SOCIOLOGY

PAPER-BUSINESS ORGANISATION QUESTION BANK

What do you understand by business? Describe different types of business activities with examples.